सोनिया बनी रहेंगी अंतरिम अध्य्क्ष, पर अब राहुल करेंगे खुल कर फैसले

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अजीत मैंदोला
नई दिल्ली।कांग्रेस की सोमवार को हुई कार्यसमिति की बैठक में  पहले से तैयार स्क्रिप्ट के तहत ही वह सब हुआ जो पहले से तय था।मतलब सोनिया गांधी को इस्तीफे की पेशकश करनी थी,उसे हर हाल में अस्वीकार होना था।7 घण्टे चली बैठक के बाद वही हुआ।सोनिया अब तब तक अंतरिम अध्य्क्ष बनी रहेंगी जब तक  पार्टी महाधिवेशन नही बुलाती है।कोरोना काल मे महाधिवेशन के कोई आसार नही है।इसलिये सोनिया अगले साल भी अंतरिम अध्य्क्ष बनी रह सकती है।अगर इससे पूर्व  राहुल गांधी जिम्मेदारी संभालने को तैयार हो जाते हैं तो फिर कार्यसमिति की बैठक में यह फैसला कभी भी किया जा सकता।आज की बैठक के बाद राहुल फिर कमान संभालने पर विचार कर सकते हैं।क्योंकि राहुल जो चाहते थे आज की बैठक ने उन्हें मौका दे दिया।उन्होंने आज पार्टी पर अपनी पकड़ साबित कर दी।अब आने वाले दिनों में जो नई कार्यसमिति बनेगी ओर बदलाव होंगे उनमें राहुल की ही छाप होगी। क्योकि पार्टी ने संगठन में बदलाव के लिये सोनिया को अधिकृत किया है।कार्यसमिति में  पहले से ही एजेंडा तैयार था कि सोनिया का कार्यकाल अगले साल तक बढ़ेगा।लेकिन 23 नेताओं के पत्र ने राहुल गांधी को स्क्रिप्ट लिखने का मौका दे दिया।इसलिये बैठक के मुख्य केंद्र बिंदु राहुल ही रहे।राहुल लगातार अपने ऊपर हो रहे हमलों से गुस्से में थे।इसलिये जब पत्र की बात सामने आई तो फिर पूरी रणनीति बनाई गई।

  इस पत्र ने राहुल गाँधी को नेताओं को कड़ा संदेश देने का मौका दे दिया।पत्र बैठक से एक दिन पहले लीक किया गया।पत्र के लीक होते ही राहुल गांधी को प्रतिक्रिया मिलते ही अहसास हो गया कि पूरी पार्टी उनके साथ खड़ी है।यह उनकी पहली सफलता थी।उसके बाद आज जब कार्यसमिति की बैठक शुरू हुईं तो सोनिया गांधी ने रणनीति के तहत इस्तीफे की पेशकश कर दी।पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें पद पर बने रहने की बात कर सन्देश दे दिया था वह अभी बनी रहेंगी।उसके बाद जब राहुल की बारी आई तो उन्होंने पत्र लिखने वाले नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल सवाल उठाने वाले नेताओं को सीधा सन्देश दे दिया कि अब बहुत हो चुका है।गुस्से में भावुकता में उन्होंने पहली बार जता दिया कि  अब उनके खिलाफ बोलने ओर सवाल उठाने से पहले नेताओं को सोचना पड़ेगा।राहुल लंबे समय से अपनो को हमले झेल रहे थे। आज की बैठक के बाद कांग्रेस में कुछ बदलाव होंगे।इसमें राहुल अपने तरीके से फेसले कर सकते हैं।हालांकि राहुल के हमले से कुछ वरिष्ठ नेता सकते में हैं और नाराज भी हैं।यह भी तय है कि पत्र में हस्ताक्षर करने वाले नेताओं का ग्राफ पार्टी में आने वाले दिनों में कम हो सकता है।पर ये नेता पार्टी छोड़ेंगे इसके आसार कम ही दिखते हैं।पर इतना तय है कि अब राहुल की नीतियों को लेकर कोई नेता सवाल नही उठायेगा।राहुल के करीबी नेताओं की माने तो 6 माह बाद  राहुल पार्टी सँभालने का मन बना सकते हैं।क्योंकि तब तक राहुल पार्टी में अपनी पकड़ ओर मजबूत बना चुके होंगे।आज की बैठक में प्रियंका गांधी समेत सभी सदस्य शामिल हुए ओर राजस्थान के मुख्य्मंत्री अशोक गहलोत समेत पँजाब,छतीसगढ़ के मुख्य्मंत्री मौजूद थे।