नई दिल्ली। कपड़ा मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईएफटी) राष्ट्रीय परिमापन सर्वेक्षण करेगा। ‘इंडिया-साइज’ नामक सर्वेक्षण के तहत भारतीय आबादी का शारीरिक नाप लिया जाएगा, ताकि उसके अनुसार रेडीमेड कपड़ों की पैमाइश का चार्ट विकसित किया जा सके। यह एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसके तहत 15 से 65 वर्ष के लोगों का आंकड़ा तैयार किया जाएगा, ताकि परिधान उद्योग को भारतीय आबादी का परिमापन डेटाबेस बनाने में आसानी हो।
ऐसे खरीददारों की संख्या बहुत ज्यादा है, जिन्हें अपने नाप के रेडीमेड कपडे तलाशने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसका कारण है कि देश के भिन्न-भिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के लोगों का शारीरिक सौष्ठव अलग-अलग होता है। अब तक 14 देशों ने राष्ट्रीय परिमापन सर्वेक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है, जिनमें अमेरिका, कनाडा, मैक्सिको, इंग्लैंड, फ्रांस, स्पेन, जर्मनी, कोरिया, चीन और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। सर्वेक्षण के तहत 3-डी होल बॉडी स्केनर जैसी सुरक्षित प्रौद्योकी इस्तेमाल की जाएगी, ताकि शरीर का पूरा नाप मिल सके। बाद में माप-चार्ट बनाने के लिए इन आंकडों का विश्लेषण किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि भारतीय परिधान उद्योग विदेशों के माप-चार्ट में फेरबदल करके कपडे तैयार करते हैं। इसके कारण 20 से 40 प्रतिशत कपड़े वापस हो जाते हैं।
मानक माप-चार्ट के अभाव में सही नाप के परिधान उपलब्ध कराना भारत के कपड़ा एवं परिधान उद्योग के लिए बड़ी चुनौती है। एक अनुमान के अनुसार भारतीय कपड़ा एवं परिधान उद्योग 2021 तक 123 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा।
इस परियोजना को भारत सरकार ने मंजूरी दी है और इसके तहत 25 हजार पुरूषों और महिलाओं का नाप लिया जाएगा। यह सर्वेक्षण देश के 6 क्षेत्रों के 6 शहरों में किया जाएगा, जिनमें कोलकाता (पूर्व), मुंबई (पश्चिम), नई दिल्ली (उत्तर), हैदराबाद (मध्य भारत), बैंगलूरू (दक्षिण) और शिलांग (पूर्वोत्तर) शामिल हैं। परियोजना के आंकडें गोपनीय और सुरक्षित रहेंगे। परियोजना की अवधि सर्वेक्षण शुरू होने की तारीख से लगभग 2 वर्ष की होगी।
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