पेट के समस्त रोगों के लिए बेल का शरबत रामवाण

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इंदौर । बेल औषधीय एवं पौषक तत्व से भरपूर है तथा भगवान शिव को अतिप्रिय होने के कारण धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ फल है। पूर्ण पका हुआ फल पीला होता है। इसमें कार्बोहाईड्रेट और फास्फोरस प्रचूर मात्रा में पाये जाते हैं। पके हुये बेल फल का रस तीक्ष्ण, कशाय, मीठा, क्षुधार्वधक, फलवर्धक, ज्वर दर्दनाशक तथा वात और कफ दूर करता हैं। हृदय के लिये लाभदायक है एवं प्यास शांत करता है। पुरानी ऑव तथा अतिसार में अन्यंत गुणकारी पेट के समस्त रोगों के लिये महत्वपूर्ण औषधीय है।
यह जानकारी बेल के शरबत निर्माण के प्रशिक्षण के समय इंदौर के सागभाजी एवं फल प्रशिक्षण केन्द्र के वैज्ञानिक ललित भटनागर ने दी। उन्होंने बताया कि यदि आचार को हमें सूक्ष्म जीवाणुओं से बचाना है तथा एक वर्ष के लिये संग्रहित रखने के लिए 01 किलो आम में सरसों का तेल एवं 150 ग्राम नमक की मात्रा एक दम उपयुक्त होती है। इस तरह आम के मुरब्बे बनाते समय 01 किलो आम में 700 ग्राम शक्कर डालने से साल भर के लिये संरक्षित किया जा सकता है। इस अवसर पर तेजस्वनी महिला समूह ने बेल का शरबत बनाया और समस्त प्रशिक्षणार्थियों को इसका स्वाद भी चखाया।
प्रशिक्षण के दौरान मिक्सट फ्रूड जैम, खजूर का आचार एवं इमली की चटनी का व्यवहारिक प्रशिक्षण भी दिया गया। तैयार उत्पादों की पैकिंग की तकनीकी जानकारी प्रायोगिक प्रशिक्षण केन्द्र इन्दौर से आये प्रयोगशाला सहायक मिलनपाल द्वारा दी गई। इस अवसर पर तेजस्वनी के जिला कार्यक्रम प्रबंधक संजीव सिंह एवं सहायक संचालक उद्यान महेन्द्र मोहन भट्ट ने विशेष तकनीकी से प्रशिक्षणार्थियों के प्रश्नों का उत्तर दिया।