जब गुरदासपुर आजादी के वक्त पाकिस्तान के हिस्से चला गया था

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अरुण कुमार

लुधियाना/गुरदासपुर, 14 अगस्त: देश आजादी की 74वीं सालगिरह मना रहा है, लेकिन 15 अगस्त, 1947 को मिली स्वतंत्रता से जुड़ी पंजाब के जिला गुरदासपुर की अपनी की एक कहानी है, जो 14 अगस्त, 1947 से लेकर 17 अगस्त, 1947 तक पाकिस्तान की हकूमत में रहा और बाद में उसे भारतीय सीमा में कर दिया गया। यह जिला वास्तव में 17 अगस्त, 1947 को आजाद हुआ।

उन एतिहासिक पलों को याद करते हुए, प्रो. राज कुमार शर्मा ने बताया कि 14 अगस्त, 1947 को गुरदासपुर जिला पाकिस्तान को दे दिया गया था। उन्होंने बताया कि 14 अगस्त, 1947 से लेकर 17 अगस्त, 1947 की शाम तक जिला गुरदासपुर पाकिस्तान की सीमा रेखा में रहा और  पाकिस्तानी अधिकारी गुरदासपुर जिले में से अपना काम करते रहे। यहां 16 अगस्त शाम तक पाकिस्तान का झंडा लहराता रहा और पाकिस्तान मुस्लिम लीग व पाकिस्तान के लोग गुरदासपुर में आजादी के जश्न मनाते रहे। लेकिन 16 अगस्त शाम के बाद लाहोर रेडियो पर ऐलान किया गया कि जिला गुरदासपुर भारत को सौंप दीया गया है, इस पर भारत का हक होगा। उसके बाद सरकारी इमारतों पर से पाकिस्तान का झंडा उतर कर भारत का फहराया गया, लड्डू बांटे गाये और  लोगों ने ढोल नगारे बजाकर जश्न मनाया। जिला गुरदासपुर पाकिस्तान में इसलिए चला गया था, क्योंकि तहसील बटाला, गुरदासपुर्र दीनानगर और शकरगढ़ में मुस्लिम आबादी ज्यादा थी, लेकिन कोट मे हिन्दू-सिख आबादी ज्यादा थी, जिसके बाद शकरगढ़ तहसील गुरदासपुर जिले से काटकर पाकिस्तान को दे दी गई और बटाला, गुरदासपुर, दीनानगर और पठानकोट भारत को दे दिए गए। अब जिला गुरदासपुर के लिए 15 अगस्त, 1947 को ही आजादी का दिन है।

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