अस्थमा, मधुमेह और ब्लड प्रेशर के उपचार में सहायक है योग

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दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया है कि मोटापा, मधुमेह, अस्थमा, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों के उपचार में योगासन बेहद उपयोगी हैं। शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया कि इन रोगों के उपचार में दवा के साथ यदि निर्दिष्ट योगासन भी किए जाएं, तो मरीजों को तीव्र लाभ होता है। शोध में यह साबित होने के बाद एम्स के चिकित्सक विभिन्न रोगों के उपचार में सहायक योगासनों की लाभप्रदता जांचने में जुट गए हैं। इसके लिए संस्थान के विभिन्न विभागों में योग से जुड़ी 20 परियोजनाओं पर काम चल रहा है।

एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि संस्थान के सेंटर फॉर इंटिग्रेटिव मेडिसिन एंड रिसर्च के नेतृत्व में विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान के साथ मिलकर योग से जुड़ी परियोजनाओं पर शोध किया जा रहा है। विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान के 10 योग विशेषज्ञ शोध में मदद कर रहे हैं। इसका मकसद योग के होने वाले लाभों का ब्यौरा एकत्र करना है। जिससे मरीजों के उपचार में इसकी सहायता ली जा सके। डॉ. गुलेरिया ने कहा कि एम्स में अस्थमा के इलाज में योग के इस्तेमाल पर पहले शोध हो चुका है। इस शोध में पाया गया था कि अस्थमा के मरीजों को दवा व इनहेलर देने के साथ-साथ योग कराया जाए, तो फेफड़ा मजबूत होता है और मरीजों की दवा पर निर्भरता कम होती जाती है। इस शोध के नतीजे कनाडा में प्रदर्शित किए जा चुके हैं।

एक अन्य शोध में पाया गया कि उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में श्वसनतंत्र से जुड़ी बीमारियां आम हो चली हैं। तपेदिक की चपेट में आने वाले लोग उपचार के बाद ठीक तो हो जाते हैं, लेकिन उनके फ़ेफड़े कमजोर हो जात हैं। इस लिए सीओपीडी और टीबी के उपचार में योग के प्रयोग पर काम शुरू किया गया है। इसके अलावा हृदय और दिमाग की बीमारियों में योग के प्रभावों का भी अध्ययन किया जा रहा है। एम्स में कुछ मरीजों को 12 सप्ताह तक योग कराकर उनके खून की जांच की गई तो पाया गया कि ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक और तनाव के लिए जिम्मेदार पदार्थों के स्तर में कमी आयी है। हाल के दिनों में देश में माइग्रेन की समस्या बढ़ी है।

इसे देखते हुए न्यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने माइग्रेन के इलाज में योग के इस्तेमाल पर शोध शुरू किया है। इस दौरान चिकित्सक 144 लोगों लगातार एक साल तक एक सप्ताह में तीन दिन योग कराकर इसके नतीजों का विश्लेषण करेंगे। एम्स के चिकित्सक यह जानने के लिए भी अध्ययन कर रहे हैं कि मिर्गी के उपचार में योग कितना लाभकारी हो सकता है। चिकित्सकों ने अपने अध्ययनों में पाया है कि योग उन लोगों के लिए भी उपयोगी साबित हुआ है, जिनके लिए बाईपास सर्जरी संभव नहीं होती। कई साल पहले किए गए एक शोध में पाया गया था कि बाइपास सर्जरी नहीं किए जाने के बावजूद योग करने पर मरीजों के जीवनकाल में अपेक्षित वाद्धि दर्ज की गई थी।