अरूण जेटली को मोदी सरकार में अहम मंत्रालय दिया गया था। पहले उन्हें रक्षा मंत्रालय का कार्यभार भी अस्थायी रूप से सौंपा गया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में जेटली अमृतसर से लोकसभा चुनाव हार गए थे। इसके बावजूद उनकी योग्यता को देखते हुए मोदी सरकार के पहले मंत्रिमंडल में कैबिनेट मिनिस्टर का दर्जा दिया।
वाजपेयी सरकार में भी मिला कैबिनेट मंत्री का दर्जा
अरूण जेटली को वाजपेयी सरकार में भी कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था। उस वक्त उन्हें उद्योग एवं वाणिज्य और कानून मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया था।
जेटली का जन्म 28 दिसंबर 1952 को एक पंजाबी हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था और उनके पिता महाराज किशन पेशे से वकील थे।
जेटली का छात्र जीवन
नई दिल्ली सेंट जेवियर्स स्कूल से 1957-69 तक अरुण जेटली ने पढ़ाई की। इसके बाद वे श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और दिल्ली यूनिवर्सिटी से 1977 में लॉ की डिग्री ली।
अपनी पढ़ाई के दौरान जेटली को अकादमिक और पाठ्येतर क्रियाकलापों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए कई सम्मान मिले। दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही वे 1974 में डीयू स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष बने। जेटली सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता के पद पर भी रहे। 24 मई 1982 को जेटली की शादी संगीता जेटली से हुई थी। इनके दो बच्चे हैं- रोहन और सोनाली।
अरुण जेटली दिल्ली यूनिवर्सिटी कैंपस में पढ़ाई के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े और 1974 में स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष बने। इमरजेंसी (1975-1977) के दौरान जेटली को मीसा के तहत 19 महीना जेल में भी काटना पड़ा. राज नारायण और जयप्रकाश नारायण की तरफ से चलाये गए भ्रष्टाचार विरोधी जनांदोलन में भी वो प्रमुख नेताओं में से थे।
जय प्रकाश नारायण ने उन्हें राष्ट्रीय छात्र और युवा संगठन समिति का संयोजक नियुक्त किया था। अरूण जेटली नागरिक अधिकार आंदोलन में भी सक्रिय रहे और सतीश झा और स्मिता कोठारी के साथ पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज बुलेटिन की शुरुआत की। जेल से रिहा होने के बाद वह जनसंघ में शामिल हो गए।
अरुण जेटली का राजनीतिक जीवन
अरुण जेटली 1991 से ही बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे। साल 1999 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें बीजेपी का प्रवक्ता बनाया गया। एनडीए की सरकार में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें 13 अक्टूबर 1999 को सूचना प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नियुक्त किया गया था।
इसके अलावा पहली बार एक नया मंत्रालय बनाते हुए उन्हें विनिवेश राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नियुक्त किया गया था। राम जेठमलानी के इस्तीफे के बाद 23 जुलाई 2000 को जेटली को कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्री का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया। नवंबर 2000 में उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया और कानून, न्याय और कंपनी मामले के साथ ही जहाजरानी मंत्रालय भी सौंप दिया गया।