Yoga for Navel Displacement चुटकियों में ठीक हो जाएगी नाभि खिसकने की परेशानी करें यह योगाभ्यास

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Yoga for Navel Displacement

Yoga for Navel Displacement

नाभि हमारी शरीर का वह महत्वपूर्ण अंग है, जिसका संबंध हमारी सेहत से है। नाभि चक्र के अपने उचित स्थान से हटने पर कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो जाती हैं। आयुर्वेद भी यही कहता है कि, अगर किसी व्यक्ति की नाभि अवस्थित रहती है, तो उसे कोई ना कोई शारीरिक समस्या झेलनी पड़ती है। सामान्यतः इसे नाभि खिसकना कहते हैं। जिसके कारण व्यक्ति को पेट दर्द, उल्टी, दस्त या हार्टबर्न जैसे लक्षण हो सकते हैं। नाभि खिसकने की समस्या के कुछ मुख्य कारणों में खेलना-कूदना, दौड़ना, अधिक भारी वस्तु उठाना या मल-मूत्र अधिक समय तक रोकना आदि शामिल हो सकते हैं। जिन व्यक्तियों को नाभि खिसकने की समस्या अक्सर होती रहती है वह बहुत परेशान हो जाते हैं। और तरह-तरह के उपाय करने लगते हैं। लेकिन कुछ योगासन ऐसे हैं जिनके माध्यम से नाभि को यथा स्थान पर लाया जा सकता है। तो आइए जानते हैं नेवल डिस्प्लेसमेंट के समय किए जाने वाले योगासन..

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1. उतानपादासन

  • दोनों पैरों को एक साथ मिलाएं और धीरे-धीरे ऊपर उठाने की कोशिश करें।
  • बहुत ज्यादा पैर नहीं उठाना है बस 30 डिग्री तक उठाएं। फिर सांस छोड़ते हुए वापस आ जाएं
  • ऐसा तीन बार करें।
  • इसके बाद पैरों को 60 डिग्री तक उठाना है।
  • इसे भी तीन बार करें।

2. अर्ध हलासन

  • इसमें पैरों को पूरा ऊपर की ओर ले जाएं। आपके पैर के पंजे आंखों की सीध में होने चाहिए।
  • अब पंजों को पहले ऊपर फिर नीचे की ओर मोड़ें।
  • इसमें पैर की पिंडलियों में हल्का दर्द महसूस होना चाहिए।
  • 3-5 बार करके वापस पैरों को नीचे मैट पर टिका लें।

3. अर्ध पवनमुक्तासन

  • बाएं पैर को मोड़ते हुए सीने की तरफ ले आएं और दोनों हाथों से इसे पकड़ें।
  • फिर दाएं पैर से यही क्रिया दोहरानी है।
  • ऐसा आपको कम से कम 3 या 5 बार करना है।

4. मरकटआसन

  • पीठ के बल लेट जाएं। घुटनों को मोड़ लें।
  • अब दोनों पैरों को एक साथ दाईं ओर ले जाते हुए मैट के जितना करीब ले जा सकते हैं ले जाएं। इस स्थिति में सिर को पूरा बाईं ओर मोड़ेंगे। यही प्रोसेस दूसरी
  • तरफ भी करना है।

5. सेतुबंधासन

  • इसमें पैरों को मोड़ लें।
  • हाथों से टखने को पकड़ लें।
  • अब धीरे-धीरे पूरी बॉडी को ऊपर की ओर उठाएं। जितनी देर इस स्थिति में रूक सकते हैं, रूकें फिर आराम से वापस आ जाएं।

6. सुप्त व्रजासन