(Yamunangar News) यमुनानगर। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा व रिटायर्ड संघ के सैंकड़ो की संख्या में कार्यकर्ता एसकेएस जिला प्रधान महिपाल सौदे व रिटायर्ड संघ के जिला प्रधान जोत सिंह की अध्यक्षता में विभिन्न विभागों के कर्मचारियों की लंबित माँगो को लेकर कुरुक्षेत्र सीएम कैम्प कार्यालय पर चल रहे दो दिवसीय धरने पर पहुँचे। जिला सचिव गुलशन भारद्वाज ने बताया कि एसकेएस राज्य प्रधान धर्मबीर फौगाट ने दूसरे दिन के धरने के दूसरे दिन समापन भाषण में बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा कर दी है। हरियाणा के सन्दर्भ में प्रदेश का अलग वेतन आयोग गठित किया जाना चाहिए। आठवां वेतन आयोग लागू होने तक 5000 रूपए प्रतिमाह अन्तरिम राहत दी जाए, पहले पिछले वेतन आयोग में रह गई विभिन्न वर्गों की वेतन विसंगतियां दूर करने की मांग लम्बित है, जिसका तुरन्त समाधान करना अतिआवश्यक है।
आठवां वेतन आयोग लागू होने तक 5000 रूपए प्रतिमाह अन्तरिम राहत दी जाए : गुलशन भारद्वाज
हरियाणा की प्रति व्यक्ति आय व जी डी पी दर देश के अन्य राज्यों से अधिक है। प्रदेश के लोगों का जीवन यापन का स्तर भी अन्य राज्यों से उच्चतर है। देश चहुमुखी विकास, रोजगार व आर्थिक तरलता के लिए वेतन आयोग का महत्वपूर्ण योगदान होता है क्योंकि वेतन आयोग के माध्यम से असंगठित मजदूर से लेकर प्रथम श्रेणी अधिकारी तक को उचित वेतन मिलता है। प्रदेश की परिस्थितियों में पुरानी पेंशन व्यवस्था आसानी से लागू की जा सकती है। सरकार द्वारा जोब सिक्योरिटी एक्ट के बावजूद एच के आर एन के कर्मचारियों को नौकरी से हटाने के फरमान आ रहे हैं।
कच्चे कर्मचारियों के वेतन में असमानता है जो असंवैधानिक भी है। सभी प्रकार के कच्चे कर्मचारियों की सभी समस्याओं के स्थाई समाधान के लिए एक समग्र रेगुलराइजेशन की नीति बना कर सब को पक्का कर दिया जाए। कर्मचारी की मृत्यु हो जाने पर एक्सग्रेशिया की नीति में पहले पांच व अन्त के तीन वर्ष की नौकरी की शर्त लगा रखी है जो जोखिम भरे काम करने वाले कर्मचारियों के उचित नहीं और इस शर्त के कारण उनके आश्रितों को नौकरी नहीं मिल पाती । प्रदेश का अलग से वेतन आयोग इन सभी मुद्दों पर विचार करके समाधान कर सकता है, इसलिए सरकार को हरियाणा का अलग से वेतन आयोग गठित करना चाहिए।
आनलाइन तबादला नीति के परिणाम न तो कर्मचारियों के लिए और न ही सरकार के लिए लाभकारी हैं। बड़ी संख्या में कर्मचारियों के अवांछनीय तबादले कर दिए जाते हैं। इससे एक तरफ जहां कर्मचारियों व जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ता है वहीं राजस्व की भी अनावश्यक हानि होती है। सरकार के मुख्यमंत्री व मन्त्रियों द्वारा कर्मचारी को बार धमकाने के ब्यान दिये जाते हैं।चेतावनी या सुधार का अवसर दिए बिना ही ट्रांसफर व निलम्बित कर दिया जाता है। ऐसा करने से पहले कर्मचारियों की समस्याओं व परिस्थितियों का समाधान करना चाहिए। भ्रष्टाचार हमेशा ऊपर से नीचे चलता है। अगर इसे रोकना है तो ऊपर से शुरू करना चाहिए।
परन्तु सरकार ने जिस प्रकार का रवैया अपनाया है इससे भ्रष्टाचार तो नहीं मिटेगा लेकिन कर्मचारियों को अनावश्यक परेशानी का सामना जरुर करना पड़ेगा। विभागों में कर्मचारियों की संख्या बहुत ही कम हो चुकी है। सरकार के खुद के आंकड़े के अनुसार 2.5 लाख पद खाली पड़े हैं जिन पर तुरन्त प्रभाव से नियम से नियमित भर्तियां करने की जरूरत है। सरकारी विभागों के माध्यम से जन सेवा प्रदान करने के कार्य को मजबूत किया जाए। नई शिक्षा नीति, बिजली बिल 2023, रोड़ सेफ्टी बिल व श्रम कानूनों में बदलावों को वापस लेना चाहिए। इनसे देश के आर्थिक व लौकतांत्रिक ढांचे को भारी नुक्सान होगा। शिक्षा,स्वास्थ्य, बिजली, पानी, परिवहन, सफाई, राजस्व, कृषि सेवा, पशुपालन, कानून व्यवस्था आदि सेवाओं का विस्तार जनसंख्या के अनुसार करना चाहिए। सभी विभागों में निजीकरण व ठेकाकरण को समाप्त करके सरकारी क्षेत्र में रखकर जरुरत के अनुसार विस्तार किया जाए।
इन सब मुद्दों के साथ साथ अपने 15 सुत्रीय मांग पत्र को लेकर सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने बार बार प्रदेश के मुख्यमंत्री को बातचीत के लिए समय देने के लिए पत्र लिखे हैं। प्रदेश के सभी 90 विधायकों को ज्ञापन दिए गए।सरकार के मुख्यमंत्री व मंत्री बार बार सभी के लिए दरवाजे खुले होने की ब्यान बाजी करते रहते हैं परन्तु पिछले दस वर्षों में एक बार भी सरकार ने सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा को बातचीत का समय नहीं दिया है जिसके कारण कर्मचारियों की अति महत्वपूर्ण मांगों का भी समाधान नहीं हो रहा है। इसको लेकर कर्मचारियों में भारी रोष है। आज दो दिवसीय धरने के समापन पर माननीय मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया।
मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय इन्चार्ज श्री कैलाश सेणी जी ने धरना स्थल पर आकर ज्ञापन लिया और मुख्यमंत्री महोदय की तरफ से कर्मचारियों के मांग मुद्दों पर बातचीत के लिए चुनाव आचार संहिता के बाद मीटिंग का समय देने का आश्वासन दिया। मांगों का जल्द समाधान न होने पर निर्णय लिया गया कि आने वाले बजट सत्र में जिस दिन विधानसभा में बजट पेश किया जाएगा उस दिन प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर एक दिन का ” कर्मचारी बजट सत्र ” का आयोजन किया जाएगा। जिसमें बजट से कर्मचारियों की अपेक्षाओं का प्रस्ताव पास करके सरकार को भेजा जाएगा। जिसकी तैयारियों के लिए जिलों की मीटिंग की जायेंगी।