(Yamunanagar News) जगाधरी। सेंट लॉरेंस इंटरनेशनल स्कूल, पाबनी रोड, जगाधरी में क्लासरूम मैनेजमेंट विषय पर दो दिवसीय इन-हाउस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का संचालन सीबीएसई प्रमाणित प्रशिक्षक पूजा बत्रा और प्रख्यात शिक्षाविद् डॉ. एम. के. सहगल ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय की चेयरपर्सन डॉ. रजनी सहगल ने की। कार्यशाला का शुभारंभ भगवान गणेश और माँ सरस्वती की वंदना एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। कार्यशाला में क्लासरूम मैनेजमेंट के आधुनिक दृष्टिकोण पर जोर दिया गया।
प्रशिक्षक पूजा बत्रा ने शिक्षकों को कक्षा प्रबंधन (क्लासरूम मैनेजमेंट) की अनिवार्यता को समझाते हुए बताया कि एक सुव्यवस्थित कक्षा वातावरण न केवल शिक्षण को प्रभावी बनाता है, बल्कि छात्रों के व्यवहार और सीखने की प्रक्रिया को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। उन्होंने कक्षा अनुशासन, समय प्रबंधन, छात्र सहभागिता बढ़ाने की तकनीकें और प्रभावी संवाद कौशल पर जोर दिया। शिक्षकों को विभिन्न इंटरैक्टिव गतिविधियों और प्रैक्टिकल रणनीतियों के माध्यम से यह सिखाया गया कि वे अपनी कक्षा को कैसे अधिक रोचक, अनुशासित और प्रेरणादायक बना सकते हैं।
कक्षा का वातावरण छात्रों की सीखने की क्षमता को प्रत्यक्ष रूप : डॉ. एमके सहगल
शिक्षाविद् डॉ. एमके सहगल ने अपने संबोधन में कहा कि कक्षा का वातावरण छात्रों की सीखने की क्षमता को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है। उन्होंने शिक्षकों को प्रेरित करते हुए कहा कि सकारात्मक और प्रेरणादायक माहौल बनाए रखना आवश्यक है, जिससे न केवल छात्र शिक्षा में रुचि लें, बल्कि आत्म-अनुशासन भी विकसित करें। उन्होंने नवीनतम शिक्षण रणनीतियों, प्रभावी शिक्षण तकनीकों और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोणों पर चर्चा की, जिससे शिक्षक अपनी कक्षा को अधिक प्रभावी और आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप बना सकें।
चेयरपर्सन डॉ. रजनी सहगल ने अपने संदेश में कहा कि आज की शिक्षा प्रणाली में सिर्फ विषय-वस्तु पढ़ाना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि शिक्षकों को छात्रों के समग्र विकास पर ध्यान देना भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि एक सुव्यवस्थित कक्षा न केवल छात्रों के लिए बेहतर सीखने का माहौल प्रदान करती है, बल्कि शिक्षकों के लिए भी तनाव-मुक्त और उत्पादक शिक्षण को संभव बनाती है।
कार्यशाला के अंत में आयोजित प्रश्नोत्तर सत्र में शिक्षकों ने अपनी शंकाओं का समाधान प्राप्त किया और अनुभव साझा किए। शिक्षकों ने इस प्रशिक्षण को व्यावहारिक, रोचक और अत्यंत लाभकारी बताया। विद्यालय प्रशासन ने आश्वासन दिया कि भविष्य में भी इसी तरह के नवाचार-आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिससे शिक्षकों की क्षमता और शिक्षण गुणवत्ता में निरंतर सुधार हो सके।
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