(Yamunanagar News) साढौरा। इस समय भाद्रपद महीना चल रहा है और भाद्रपद अमावस्या आज व कल है। भाद्रपद अमावस्या एक दुर्लभ योग बना रही है। दरअसल, इस साल भाद्रपद अमावस्या 2 दिन तक रहेगी। भाद्रपद अमावस्या तिथि 2 सितंबर सोमवार और 3 सितंबर मंगलवार दोनों ही दिन हो रही है। ऐसे में इस बार सोमवती अमावस्या और भौमवती अमावस्या दोनों का ही लाभ लोगों को प्राप्त होगा।
अमावस्या पर शिव योग और सिद्धि योग का खास संयोग
गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक पंडित रामराज कौशिक के अनुसार, भाद्रपद की अमावस्या तिथि 2 सितंबर को सुबह 5:21 बजे से प्रारंभ होकर 3 सितंबर को सुबह 7:24 बजे तक है। चूंकि 2 सितंबर को सूर्योदय सुबह 06:00 बजे हो रहा है, ऐसे में उदयातिथि के आधार पर भाद्रपद अमावस्या 2 सितंबर सोमवार को है, जिसे सोमवती अमावस्या कहा जाएगा और 3 तारीख को मंगलवार के दिन भी उदय तिथि में अमावस्या है अतः भौमावती अमावस्या भी मनाई जाएगी।
सोमवती अमावस्या पर बने रहे हैं शुभ योग
इस साल सोमवती अमावस्या पर शिव योग और सिद्धि योग का खास संयोग बना रहा है। सनातन धर्म में अमावस्या तिथि को स्नान-दान के कार्य बेहद शुभ माने गए हैं।भाद्रपद माह में आने वाली अमावस्या तिथि को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इसे भाद्रपद अमावस्या और पिठोरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का बड़ा महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन स्नान-दान के कार्य बेहद शुभ माने जाते हैं। पंडित रामराज कौशिक के अनुसार 02 सितंबर दिन सोमवार को भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पड़ रही है। इस दिन सोमवती अमावस्या मनाया जाएगा। हालांकि कुछ लोग 03 सितंबर को भौमवती अमावस्या मना रहे हैं।
अमावस्या का शुभ मुहूर्त
दृक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का आरंभ 02 सितंबर को सुबह 05 बजकर 21 मिनट पर होगा और इसका समापन 03 सितंबर को सुबह 07 बजकर 54 मिनट पर होगा। इस बार भाद्रपद अमावस्या के दिन शिव योग और सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है। 02 सितंबर को शाम 06:20 बजे तक शिव योग का निर्माण होगा। वहीं,03 सितंबर को सुबह 07:05 बजे तक सिद्धि योग रहेगा। ज्योतिर्विद के अनुसार, स्नान दान की अमावस्या सोमवती अमावस्या 2 सितंबर को होगा। उदय तिथि में दोनों दिन अमावस्या है पता है सोमवती और भोमवती अमावस्या दोनों का ही अपना महत्व है।
स्नान-दान का महत्व
सोमवती अमावस्या के दिन स्नान-दान के कार्यों का बड़ा महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन गंगा आदि नदियों पवित्र तीर्थं में स्नान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है और व्यक्ति से जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन पितरों का श्राद्ध,तर्पण और पिंडदान के कार्य भी किए जाते हैं। कहा जाता है कि इससे पितर तृप्ति मिलती है और उन्हें मोझ की प्राप्ति होती है। साथ ही पितर प्रसन्न होकर परिवार के सदस्यों को सुख,शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।