(Yamunanagar News) यमुनानगर। 20 साल व इससे अधिक वर्षाें से किराया दे रहे दुकानदारों को मालिकाना हक देने के लिए सरकार आज यानि मंगलवार को मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना का पोर्टल खोल रही है। यह पोर्टल 30 जुलाई तक खुला रहेगा। दुकानों पर अपना मालिकाना हक लेने के लिए 20 साल से काबिज दुकानदार पोर्टल पर 30 जुलाई तक आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने वाले दुकानदारों के नाम ही सरकार की योजना के तहत दुकान की रजिस्ट्री कराई जाएगी। पोर्टल बंद होने के बाद कोई भी आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे। यह जानकारी नगर निगम आयुक्त आयुष सिन्हा व क्षेत्रीय कराधान अधिकारी अजय वालिया ने दी।
मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना के तहत 20 साल से अधिक के किरायेदार बनेंगे दुकानों के मालिक
उन्होंने बताया कि 31 दिसंबर 2021 तक जिन शहरी निकायों की दुकानों या मकान पर कब्जे के 20 साल पूरे हो गए थे, ऐसी संपत्ति के कब्जाधारी मालिकाना हक पाने के योग्य हैं। यह योजना 20 साल या इससे अधिक वर्ष के दुकान या मकान के किराएदार, लीजधारक, तहबाजारी वालों के लिए है। मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना के तहत ऐसे किराए की दुकानों में व्यवसाय करने वाले दुकानदार दुकानों के मालिक बनने के लिए 16 जुलाई से 30 जुलाई तक पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं। बता दें कि शहर की मीरा बाई मार्केट, वर्कशाप रोड, शिवाजी मार्केट, रामपुरा, इंदिरा मार्केट, जवाहर मार्केट, यमुनानगर अनाजमंडी व सब्जी मंडी कन्हैया चौक के नजदीक निगम की दुकानें हैं। मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना के दायरे में 1545 दुकानदार आते हैं। इनमें से कुछ ने दुकानों पर अपना मालिकाना हक ले लिया है। जो पात्र रह गए है, उन्हें संपत्ति पर मालिकाना हक देने के लिए दोबारा पोर्टल खोला गया है। संपत्ति पर मालिकाना हक लेने के लिए किराएदार को पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन के बाद निगम की ओर से दावे व आपत्तियां ली जाएंगी। उसके बाद अलॉटमेंट हो जाएगी।
आवेदन के लिए ये दस्तावेज जरूरी –
निगमायुक्त आयुष सिन्हा ने बताया कि योजना के तहत दुकान या अन्य संपत्ति अपने नाम करवाने के लिए लाभपात्र को योग्यता संबंधित दस्तावेज, साइट प्लान, तल अनुसार निर्मित भवन प्लान स्वयं सत्यापित करके आवेदन के साथ देना होगा। आवेदन के साथ अधिकार को प्रमाणित करने के लिए निगम द्वारा जारी आबंटन पत्र, संपत्ति स्थानांतरण पत्र, वास्तविक आबंटी या उप किरायेदारी का समझौता पत्र, संबंधित संपत्ति को प्रमाणित करने वाला निगम का रिकॉर्ड, किराए की रसीद, बिजली या पानी कनेक्शन की प्रतिलिपि, संबंधित संपत्ति का सेल टैक्स, वेट, जीएसटी में से एक का संबंधित रजिस्ट्रेशन नंबर, आयकर रिटर्न या फायर एनओसी की प्रतिलिपि में से एक लगाना होगा।