(Yamunanagar News) साढौरा। कस्बे में बना पटवारखाना रखरखाव के अभाव में खंडहर में तबदील हो गया है। असुरक्षित हो चुके इस भवन की की बजाए पटवारी किराए के कमरों में काम करने को मजबूर हो गए हैं। खंडहर पटवारखाने को आसपास के लोग कबाडख़ाने के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। तीन दशक पहले राजस्व विभाग ने पटवारियों के बैठने व काम करने की सुविधा के लिए पटवारखाना बनाया था। लेकिन रखरखाव के अभाव में यह भवन इतना जर्जर हो चुका है कि पटवारी व ग्रामीण यहां बैठना जान जोखिम में डालने के बराबर समझते हैं। इस भवन में बिजली की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। इस भवन में शौचालय या पेयजल की तो कतई व्यवस्था नहीं है। खस्ता हालत पटवारखाने में राजस्व रिकार्ड को रखने की भी उचित व्यवस्था नहीं है। नतीजन रिकार्ड खराब हो रहा है। इस भवन की हालत खस्ता होने के कारण पटवारी अपनी जेब से रकम चुका कर प्राइवेट कमरे किराए पर लेकर वहां काम करने को मजबूर हैं।
कमोबेश देहात में बने पटवारखानों की भी यही हालत है। पटवारी से संबंधित ग्रामीणों के काम गांव में ही निपटाने के मकसद से गांव फाजलपुर, कोटला, इस्माइलपुर, ठसका, सरावां व लाहड़पुर में पटवारखानों के भवन बने हुए हैं। लेकिन केवल लाहड़पुर के पटवारखाने के अलावा बाकि सभी पटवारखानों की हालत खस्ता हो चुकी है।
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