(YamunaNagar News) रादौर। पंडित रिंकू शर्मा दोहली ने बताया कि शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से प्रारंभ होंगी और 11 अक्टूबर को नवमी के दिन समाप्त होंगी। इसके बाद 12 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा। 3 अक्टूबर को नवरात्रि के पहले दिन घरों में कलश स्थापना की जाती है। 4 अक्टूबर को माँ ब्रह्मचारिणी पूजा द्वितीय, 5 अक्टूबर को माँ चंद्रघंटा पूजा तृतीया, 6 अक्टूबर को माँ कुष्मांडा पूजा चतुर्थी, 7 अक्टूबर को माँ स्कंदमाता पूजा महा पंचमी, 8 अक्टूबर को माँ कात्यायिनी पूजा महा षष्ठी, 9 अक्टूबर को माँ कालरात्रि पूजा महासप्तमी, 10 अक्टूबर को माँ महागौरी पूजा महाअष्टमी, 11 अक्टूबर को माँ सिद्धिदात्री पूजा, महानवमी, 12 अक्टूबर को विजयदशमी पड़ रही है।
उन्होंने बताया कि नवरात्र अथवा नवरात्रि, हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है। नवरात्र एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है नौ रातों का समय। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति देवी की पूजा की जाती है। साल में 4 बार मां दुर्गा को समर्पित नवरात्रि आती हैं, जिनमें से 2 प्रत्यक्ष और 2 अप्रत्यक्ष नवरात्रि होती हैं। शारदीय नवरात्रि प्रत्यक्ष नवरात्रि और उत्सव की नवरात्रि होती हैं। उन्होंने बताया कि फिर 9 दिनों तक मां भवानी के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा की जाती है। शारदीय नवरात्रि में माता के आगमन-प्रस्थान की सवारी बहुत खास होती है। माता की सवारी भविष्य में होने वाली घटनाओं के संकेत देती है।
नवरात्रि के प्रारंभ और समापन के दिन से माता की सवारी का पता चलता है। इस बार मां दुर्गा पालकी में सवार होकर आ रही हैं। देवी पुराण में पालकी की सवारी को शुभ माना गया है। लेकिन पालकी की सवारी आंशिक महामारी का कारण भी मानी गई है। लिहाजा देश में बीमारियां-महामारी फैलने की आशंका है।
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