(Yamunanagar News) साढौरा। करनाल में आठ सितंबर को होने वाले हरियाणा सिख सम्मेलन का न्यौता देने के लिए एक जत्थे ने गुरुद्वारा बाबा बंदा सिंह बहादुर मे स्थानीय संगतों से मुलाकात की। इस जत्थे में जगजीत सिंह औलख, अमरजीत सिंह मोहडी व बलविन्द्र सिंह रायमाजरा शामिल रहे। उन्होंने कहा कि बहादुर सिख कौम को आज तक उनके सही हक नहीं मिल सके हैं।
इसलिए करनाल में आयोजित सिख सम्मेलन के माध्यम से सिख कौम की जरुरी मांगों बारे प्रस्ताव रखा जाएगा। गुरु ग्रंथ साहिब के अपमान के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए गैर जमानती धाराओं के साथ सख्त कानून बनाने की मांग शामिल है। हरियाणा के सिखों को लोकसभा और राज्यसभा में प्रतिनिधित्व दिया जाए और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग और राज्य स्तर पर हरियाणा का एक अल्पसंख्यक आयोग बनाया जाए। विधानसभा में 16 से 20 सीटें जहां सिख बहुमत में हैं वहां मुख्य राजनीतिक दलों को चरित्रवान सिखों को टिकट देना चाहिए। हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के लिए घर-घर से सिख वोट जुटाए जाने चाहिए ये चुनाव तुरंत होने चाहिए। सरकारी स्कूलों में पंजाबी को दूसरी भाषा के रूप में पूरी तरह से मान्यता देने के लिए पंजाबी शिक्षकों को अनिवार्य किया जाना चाहिए और यदि 10 या अधिक छात्र पंजाबी पढऩा चाहते हैं, तो निजी स्कूलों में भी पंजाबी शिक्षकों को अनिवार्य किया जाना चाहिए अलग-अलग अखबारों में आदेश जारी किए जाएं कि सिख छात्रों को खाकर या कड़ा आदि पहनकर स्कूल जाने से न रोका जाए।
सोशल मीडिया पर सिख समुदाय को निशाना बनाने और भडक़ाऊ पोस्ट करने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने के लिए हर जिले में एसआईटी का गठन किया जाना चाहिए या गुरु साहिब और सिख समाज के बारे में अपशब्द लिखें या समुदाय के माध्यम से किसी पर हमला करें या धमकाएं। अन्य समुदायों की तरह जिले में सिख धर्मशाला बनाने के लिए जगह और अनुदान दिया जाए।सम्मेलन के माध्यम से सिखों की इन मांगों को रखा जाएगा। गुरुद्वारा डयोढ़ी साहिब के प्रधान इंद्रजीत सिंह ढिल्लों ने सिख संगतों को गुटबाजी और पार्टी मोह त्यागकर सिख सम्मेलन में भाग लेने का आह्वाण किया। उन्होंने बताया कि अकाल तख्त के जत्थेदार सरदार रघुबीर सिंह की अगुवाई में पांचों तख्त के जत्थेदार इस सम्मेलन की रहनुमाई करेंगे। वहीं कार सेवा वाले बाबा सुखा सिंह मार्गदर्शन करेंगे। इस दौरान कुलविन्द्र सिंह चड्ढा, लक्ष्मण सिंह खालसा, राजेन्द्र बकाला, कैप्टन बलजीत सिंह कुराली, जसबीर सिंह बीडमाजरा, गुरविन्द्र सिंह चीमा भी मौजूद रहे।