(Yamunanagar News) जगाधरी। सेंट लॉरेंस इंटरनेशनल स्कूल, शाहपुर रोड, व्यासपुर में सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) द्वारा कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम के अंतर्गत ‘लर्निंग आउटकम्स एव पेड़ागोज़ी’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन चेयरपर्सन डॉ. रजनी सहगल की अध्यक्षता में संपन्न हुआ I कार्यशाला का शुभारंभ सीबीएसई द्वारा मनोनीत रिसोर्स पर्सन संजय त्यागी व पूजा बत्रा, विख्यात शिक्षाविद डॉ. एमके सहगल, चेयरपर्सन डॉ. रजनी सहगल ने श्री गणेश व माँ सरस्वती जी की पूजा अर्चना और पुष्पांजलि के साथ किया। इस कार्यशाला में यमुना नगर, कुरुक्षेत्र व अम्बाला के 11 स्कूलों के 62 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

मंच संचालन की भूमिका रचना शर्मा ने निभाई, जिन्होंने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया। डॉ. एमके सहगल ने रिसोर्स पर्सन का नारियल व शाल भेटकर अभिनंदन किया। उन्होंने अपने आह्वान में कहा कि सीबीएसई द्वारा आयोजित इस प्रकार की कार्यशालाएँ शिक्षकों की गुणवत्ता, अध्यापन कला एवं जीवन कौशल को सुधारने में सहायक होती हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षक, देश के भविष्य निर्माता होते हैं, और उनका दायित्व है कि वे विद्यार्थियों में कर्तव्यनिष्ठा, ईमानदारी एवं नैतिक आदर्श मूल्यों की स्थापना करें।

रिसोर्स पर्सन कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी कार्यरत संजय त्यागी ने शिक्षकों को आधुनिक शिक्षण विधियों, शिक्षण परिणामों (लर्निंग आउटकम्स) और प्रभावी अध्यापन (पेडागॉजी) की बारीकियों पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शिक्षा का उद्देश्य केवल पाठ्यक्रम पूरा कराना नहीं, बल्कि छात्रों में समझ, नवाचार, और व्यावहारिक ज्ञान विकसित करना होना चाहिए। लर्निंग आउटकम्स से छात्रों की सीखने की प्रक्रिया को मापा और विश्लेषण किया जा सकता है, जिससे शिक्षण को अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है। साथ ही उन्होंने बताया कि तकनीक का सही उपयोग शिक्षकों और छात्रों दोनों के लिए फायदेमंद साबित होता है । स्मार्ट क्लासरूम, डिजिटल संसाधन, ऑडियो-विजुअल सामग्री और ऑनलाइन लर्निंग टूल्स के प्रयोग से शिक्षण अधिक प्रभावी और रोचक बनाया जा सकता है।

प्रोजेक्ट-बेस्ड लर्निंग, केस स्टडीज़, ग्रुप डिस्कशन और डिजिटल टूल्स के उपयोग के बारे में पूजा बत्रा ने बताया

रिसोर्स पर्सन पूजा बत्रा ने इंटरएक्टिव टीचिंग मेथड्स जैसे कि प्रोजेक्ट-बेस्ड लर्निंग, केस स्टडीज़, ग्रुप डिस्कशन और डिजिटल टूल्स के उपयोग पर जोर दिया । शिक्षकों को पारंपरिक पद्धतियों से आगे बढ़कर छात्र-केंद्रित शिक्षण अपनाने की सलाह दी । उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया की छात्रों की अलग-अलग सीखने की गति और समझ को ध्यान में रखते हुए शिक्षण विधियां अपनाये। प्रत्येक छात्र के विकास की निगरानी करना और उसे सही मार्गदर्शन देना शिक्षक का कर्तव्य है। साथ ही उन्होंने छात्रों के मूल्यांकन को केवल परीक्षा तक सीमित न रखते हुए, निरंतर आकलन, गतिविधि-आधारित मूल्यांकन और व्यक्तिगत फीडबैक को प्राथमिकता पर जोर दिया।

कार्यक्रम के अंत में स्कूल की चेयरपर्सन डॉ. रजनी सहगल ने सभी प्रतिभागियों एवं रिसोर्स पर्सन का आभार व्यक्त किया और इस प्रकार की कार्यशालाओं के नियमित आयोजन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला में शिक्षकों को आधुनिक शिक्षण पद्धतियों, लर्निंग आउटकम्स की अवधारणा, तथा शिक्षण-कौशल विकास पर महत्वपूर्ण जानकारी दी गई उससे निश्चित रूप से सभी शिक्षक लाभान्वित होंगे I कार्यशाला के अंतिम सत्र में सभी प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए प्रसन्नता व्यक्त की I इसके साथ ही सभी शिक्षकों ने सीखने-सिखाने की इस प्रक्रिया को अत्यंत उपयोगी एवं ज्ञानवर्धक बताया।

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