Yamunanagar News : भागवत कथा सुनने से मिलती है पापों से मुक्ति

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Bhagwat Katha liberates
कथावाचक कैलाश चंद्र शास्त्री

(Yamunanagar News) साढौरा। श्री दुर्गा मंदिर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पहलेे दिन कथा वाचक कैलाश चंद्र शास्त्री ने आत्मदेव ब्राहण का संगीतमय सुंदर वर्णन किया। कथावाचक ने बताया कि तुंगभद्रा नदी के तट पर रहने वाले आत्मदेव नाम के ब्राह्मण को कोई सन्तान नहीं थी, जिसको लेकर वह बुहत दुखी रहा करता था। उसने अपनी दुखद व्यथा एक महात्मा को बताई तो उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए एक फल देकर पत्नी धुंधली को सेवन कराने को कहा। आत्मदेव देव की पत्नी धुंधली ने वो फल स्वयं न खाकर गाय को खिला दिया था।

कुछ समय बाद उस गाय ने मनुष्य के रूप में बच्चे को जन्म दिया, जिसका नाम गोकर्ण रखा गया। संतान सुख से वंचित देख धुंधली को उसकी बहन ने अपना पुत्र दे दिया था, जिसका नाम धुंधकारी रखा गया।

दोनों पुत्रों में गोकर्ण तो ज्ञानी पण्डित हुआ, लेकिन धुंधकारी महादुष्ट और पापी निकला। उसने पिता की सम्पत्ति नष्ट कर दी, जिससे दु:खी होकर पिता आत्मदेव घर छोड़ जंगल में रहकर प्रभु भक्ति में लीन रहने लगे। उन्होंने धार्मिक कथाएं सुननी शुरू कर दीं। पत्नी धुंधली घर ही रहती थीं। धुंधकारी अपनी मां को मारता-पीटता और पूछता की धन कहां छिपा रखा है, जिससे तंग आकर मां धुंधली कुएं में कूद गई। कुछ समय बाद धुंधकारी की भी मौत हो गई और अपने बुरे कर्मों की वजह से प्रेत बन गया।

उसके भाई गोकर्ण ने धुंधकारी का पिंडदान और श्राद्ध गया जी में कराया। ताकि उसे मोक्ष की प्राप्ति हो सके। उसके बाद भी धुंधकारी को मुक्ति नहीं मिली। गोकर्ण ने अपने भाई की मुक्ति के लिए सूर्य देव की कठोर तपस्या की। जिससे प्रसन्न होकर सूर्य देव ने दर्शन देकर कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि धुंधकारी की मुक्ति के लिए श्रीमद् भागवत कथा से ही मुक्ति मिलेगी।

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