Yamunanagar News : जीवनलक्ष्य सतगुरु के मार्गदर्शन से सुलभ : अनुज वर्मा

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Life's goal is attainable with the guidance of Satguru Anuj Verma

(Yamunanagar News) जगाधरी। महात्मा मंगत राम मार्ग (छछरौली रोड) स्थित संगत समतावाद के मुख्यालय परिसर में तीन दिन चलने वाले 96वें वार्षिक सम्मेलन का समापन हुआ। विशाल समता सत्संग में देश-विदेश से आए अनुयायियों की सेवा में वरिष्ठ वक्ताओं द्वारा विचार प्रस्तुत किए गए।

सतगुरु की आवश्यकता की व्याख्या करते हुए जगाधरी निवासी अनुज वर्मा ने कहा कि हम सब का यह अनुभव है कि जीवन की हर छोटी बड़ी उपलब्धि, पढ़ाई हो, खेल हो, व्यवसाय या अन्य एक ज्ञानवान तथा अनुभवी अध्यापक, गाइड या मार्गदर्शक की आवश्यकता होती है। मनुष्य जन्म तो परमात्मा की सबसे उत्कृष्ट उत्पत्ति है। जिसमें जन्म मरण के चक्र से छूट पाने की व्यवस्था और स्वतंत्रता भी प्राप्त है।

इसके लिए आत्मलीन सद्‌गुरु की खोज करना और उनकी कृपा का पात्र बनना अत्यंत आवश्यक है। पर सावधान, आज के मिलावट के दौर में खालिस सतगुरु को पहचानना अत्यंत कठिन है। सिर्फ ईश्वर प्राप्ति का रास्ता जानने वाले सतगुरु कहलाने के अधिकारी नहीं होते जब तक वह सत श्रद्धा और प्रेम भक्ति से ईश्वर स्वरूप में आनंदित होकर परमेश्वर में लीन ना हो जायें। संगत समतावाद के आत्मलीन सद्‌गुरु महात्मा मंगत राम (महाराज जी) नें भोजन, पहनावा और आचार व्यवहार की सादगी, सत्य, सेवा, सत्संग और सत सिमरन रुपी आध्यात्मिक पंचशील समता अनुयायियों को अपने आदर्श जीवन द्वारा प्रस्तुत किया है।

यह निर्णय भी दिया है कि सब जीवों से प्रेम पूर्वक व्यवहार करना, विकार पाप कपट आदि से बच कर, अवगुणों से छूटना, भोगों में मर्यादा धारण करना, सेवा और सिमरन की बैठक में दृढ़ हो, शिष्य गुरुकृपा का पात्र बनता है। सबको प्रेरणा दी है कि जीवन के वास्तविक लक्ष्य भगवत प्राप्ति की ओर अग्रसर होकर अपने दुर्लभ मनुष्य जन्म को सकार्थ कर लेवें 1

सत्गुरु हर शिष्य को वास्तविक लक्ष्य, अनंत शान्ति प्राप्त करने की परिपूर्णता तक, पूर्ण मार्गदर्शन करते हैं। फिर ऐसे शिष्य भी सारा जीवन, जनसाधारण के कल्याण और उन्नति में सहायक, मार्गदर्शक बनते है। धन्य है ऐसे गुरु और ऐसे शिष्य जो जग को वास्तविक जीवन देते हैं।

सत्संग सम्मेलन के समापन पर आई हुई संगतों के अतिरिक्त आसपास के गांवों से 3000 जनसाधारण ने भी गुरु लंगर ग्रहण किया। समस्त समता अनुयायियों के अपने सतगुरु महात्मा मंगत राम जी द्वारा दिए गए नियमों और साधनों पर दृढ़ता से कारबद्ध रहकर अपनी आत्मिक उन्नति का प्रण लेने के साथ 96वें भव्य वार्षिक सम्मेलन का समापन हुआ।

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