Yamunanagar News : कृतिका नक्षत्र में करवाचौथ का व्रत 20 अक्तूबर को मनाया जाएगा

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Karva Chauth fast will be observed on October 20 in Krittika Nakshatra
पण्डित रामराज कौशिक

(Yamunanagar News) साढौरा। हिंदू धर्म में सुहाग से जुड़े व्रत रखने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इन उपवासों को रखने से वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहती है। साथ ही दम्पति के रिश्तों में मजबूती आती है। सभी उपवास में से करवाचौथ के व्रत को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।

इस बार यह व्रत और भी महत्वपूर्ण हो गया है, चुंकि सूर्य के दिन सूर्य के नक्षत्र में यह व्रत रखा जाएगा। सुहागिनों द्वारा अपने पति की दीर्घायु एवं अच्छे स्वास्थ्य के लिए करवाचौथ के दिन निर्जल व्रत रखा जाता है। शाम के समय चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा के दर्शन कर व्रत का पारण किया जाता है। सनातन धर्म में सुहागिनों द्वारा रखे जाने वाला करवाचौथ का व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।

इसे आमतौर पर शादी-शुदा महिलाएं मनाती हैं। शाम के समय चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा के दर्शन कर व्रत का पारण किया जाता है। गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक पंडित रामराज कौशिक ने बताया कि पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। इस साल 20 अक्तूबर को करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा। इस दिन व्यतीपात योग के साथ कृत्तिका नक्षत्र का संयोग बन रहा है, जो व्रत की महत्ता को अधिक बढ़ा रहा है।

करवा चौथ और पूजा का समय-

पंडित रामराज कौशिक के अनुसार, इस साल यह पर्व 20 अक्तूबर को रखा जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महिलाएं इस दिन कठिन व्रत का पालन करती हैं और विधिवत पूजा-अर्चना करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से पति को लंबी उम्र और सुरक्षा प्राप्त होती है। साथ ही घर में सुख-समृद्धि आती है।
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – 20अक्तूबर को सुबह 06:46 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त – 21अक्तूबर को सुबह 04:16 बजे
करवा चौथ समय – सुबह 06:25 से शाम 19:54
पूजा मुहूर्त- शाम 05:46 बजे  07:02 बजे तक
करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय का समय- शाम 07:54 बजे

करवा चौथ पूजा सामग्री-

मिट्टी या तांबे का करवा और ढक्कन,  सींक,पान,  अक्षत, चंदन, कलश, फल, फूल, हल्दी, पीली मिट्टी,  देसी घी, कच्चा दूध, दही, लकड़ी का आसान, शहद, मौली, रोली, शक्कर का बूरा,  मिठाई व छलनी आदि।

करवा चौथ पूजा-विधि

1. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें खूब सजे संवरे।
2. मंदिर और घर की साफ-सफाई करें
3. सभी देवी-देवताओं की विधि-विधान पूजा करें
4. फिर चंद्रमा की पूजा करें
5. चंद्र दर्शन करने के बाद अघ्र्य दें

 

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