Yamunanagar News : ऐतिहासिक 8 दिवसीय जाहरवीर गोगामाडी मेला 17 सितंबर से

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Historical 8 day long Jaharveer Gogamadi fair from 17th September
जाटनगर रादौर में पवित्र छड़ी निशान की पूजा करते स्थानीय लोग।
(Yamunanagar News) रादौर। रादौर का प्रसिद्ध व ऐतिहासिक 8 दिवसीय जाहरवीर गोगामाडी मेला इस बार मंगलवार 17 सितंबर से शुरू होने जा रहा है। मेले को लेकर शुक्रवार को पवित्र छड़ी निशान का आगमन हुआ। पवित्र छड़ी निशान जाटनगर रादौर में सबसे पहले दी यमुनानगर केंद्रीय कॉपरेटिव बैंक के चेयरमैन व समाजसेवी धर्मसिंह बंचल के निवास पर ले जाया गया। जहां स्थानीय लोगों ने छड़ी निशान की पूजा कर सभी के लिए सुख शांति की कामना की। इस अवसर पर जाहरवीर गोगा माडी के महंत अनिल कश्यप व बाबूराम ने बताया कि रादौर में जाहरवीर गोगा माडी की मजार पर मुगलकाल से 8 दिवसीय मेले का आयोजन होता आ रहा है।
मेले से पहले पवित्र छड़ी निशान को रादौर, छोटाबांस, रादौरी, अमलौहा, धानुपुरा, बापौली व अन्य गांवों में घर घर ले जाया जाएगा। जहां श्रद्वालु पवित्र छड़ी निशान की पूजा करेंगे। उन्होंने बताया कि जाहरवीर गोगा माडी मेला रादौर देश व प्रदेश में प्रसिद्ध है। रादौर के मेले के लिए क्षेत्र के लोग वर्ष भर इंतजार करते है। इस मेले की खासियत यह है कि इस मेेले में न केवल भारी संख्या में हिंदू, बल्कि सिख, मुस्लिम, ईसाई व अन्य धर्मो के लोग भी बढ़चढ़ कर भाग लेते रहे है। जहां तक आस्था की बात है तो आपको बता दे कि जब वर्ष में एक बार रादौर का मेला आयोजित होता है तो क्षेत्र के लोग देश व दुनिया से यहां पहुंचकर माथा टेकते है और अपने परिवारों की सलामती के लिए दुआ मांगते है। मेले में लोग मन्नते पूरी होने पर परिवार सहित छड़ी निशान जाहरवीर गोगा माडी की मजार पर चढ़ाने पहुंचते है। छड़ी निशान श्रद्धालुओं के घर से शुरू होकर ढ़ोल नगाड़ों के साथ जाहरवीर गोगा माडी की मजार पर पहुंचता है।
जाहरवीर गोगामाडी मेला आमतौर पर सितंबर माह में नगरपालिका की ओर से 8 दिन के लिए आयोजित किया जाता है। 400 वर्षो से जाहरवीर गोगामाडी का मेला रादौर में आयोजित होता आ रहा है। जिसमें हिंदू, मुस्लिम सिख, ईसाई सभी धर्मो के लोग भाग लेते है। रादौर के ऐतिहासिक मेले की शान तीन दिन तक लगने वाला दंगल रहता है। मेले में हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, नेपाल आदि से प्रसिद्ध पहलवान कुश्ती लडऩे पहुंचते है। मेले का दंगल मुगलों के समय से आयोजित होता आ रहा है। जिसमें जाने माने पहलवान अपने जौहर दिखाते रहें है। पहलवानों को नगरपालिका व जनता की ओर से नगद ईनाम देने की प्रथा लंबे समय से चली आ रहीं है।