(Yamunanagar News) यमुनानगर। शिक्षकों के एसीपी के मामलों के साथ फुटबॉल के मैच का खेल खेला जा रहा है। शिक्षक जब अपना ए.सी.पी का मामला अपने डी.डी.ओ. से जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी (डीईईओ) कार्यालय में भिजवाते है तो वहां से कोई न कोई ऑब्जेक्शन लगाकर एसीपी के मामलों को वापिस विद्यालयों में भेज दिया जाता है। शिक्षक डीडीओ से ऑब्जेक्शन दूर करवाकर दोबारा फिर अपने एसीपी के केस को डीईईओ कार्यालय में भिजवाते हैं। पुन कोई और ऑब्जेक्शन लगा दिया जाता है और मामला फिर वापिस विद्यालय में पहुंच जाता है।
कई शिक्षकों के मामलों पर तो 20-20 बार ऑब्जेक्शन लगाए गए हैं : कलेर
इस प्रकार बार-बार कोई न कोई ऑब्जेक्शन लगाकर फुटबॉल का मैच खेला जा रहा है कि कभी गेंद डीडीओ के कार्यालय में तो कभी गेंद डीईईओ के कार्यालय में पहुंच जाती है। न ही डी.डी.ओ को पूरी जानकारी है और न ही डीईईओ कार्यालय के कर्मचारी एक बार ही पूरे ऑब्जेक्शन लगाकर मामले को विद्यालय में भेज रहे हैं। इससे शिक्षकों के एसीपी के मामलों में देरी हो रही है। शिक्षकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।काम में देरी भ्रष्टाचार की जननी होती है।
जिला प्रधान महेंद्र सिंह कलेर ने कहा कि पिछले दिनों अध्यापक संघ की जिला शिक्षा अधिकारी धर्मेंद्र चौधरी से एसीपी के मामलों को लेकर बात हुई थी तब उन्होंने कहा था कि इसके लिए एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाएगा जिसमें सभी डी.डी.ओज को बुलाकर ए.सी.पी. के आनलाइन मामलों के बारे में विस्तार से समझाया जाएगा। कलेर ने कहा कि न ही तो कोई प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया है और न ही डीईओ व डीईईओ के कर्मचारियों को कहा गया है कि एसीपी के मामलों पर बार-बार ऑब्जेक्शन न लगाकर एक बार ही ऑब्जेक्शन लगाएं जाएं ताकि कर्मचारी एक बार ही सभी कमियों को दूर करवाकर अपना एपीसी का मामला भेज सके।
प्रधान कलेर ने कहा कि कई शिक्षकों के मामलों पर तो 20-20 बार ऑब्जेक्शन लगाए गए हैं।उन्होंने कहा कि काम में देरी होना भ्रष्टाचार को जन्म देती है। एसीपी के मामलों में अध्यापकों को बेवजह परेशान किया जा रहा है।
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