(Yamunanagar News) जगाधरी। तीन दिन चलने वाले 96वें वार्षिक समता सत्संग सम्मेलन के पहले दिन महात्मा मंगत राम मार्ग स्थित संगत समतावाद के मुख्यालय परिसर में विशाल समता सत्संग में देश-विदेश से आए अनुयायियों की सेवा में वरिष्ठ वक्ताओं द्वारा विचार प्रस्तुत किए गए I सदाचारी जीवन की व्याख्या करते हुए,
जगाधरी निवासी राजीव वर्मा ने संगत को बताया कि सदाचार है सत्+आचार और सत केवल परमेश्वर हैं, तो जैसे गुण आचार परमपिता परमेश्वर के है वही सदाचारी जीवन जीने का मार्ग है। ईश्वर सब में एक आत्मा कर के समान रूप से विराजमान हैं, कर्ता हर्ता हैं और अखंड सुख तथा निर्भय शांति के स्रोत भी हैं। इस सत्य की सोझी भी भाग्यशाली जीवो को सतगुरु की संगत से ही प्राप्त होती है।
हम सब उनकी संतान रूप है उनकी तरफ से किसी में कोई भेद नहीं बाकी हमारे अपने कर्म और कर्मों का यथा योग्य फल ही सबको मिलता हैI ऐसी सोच और व्यव्हार वाले मनुष्य ही जीवन को सफल करके परमधाम तक अग्रसर हो पाते हैंI परन्तु यह मन बड़ा ही विकराल है और चंचल भी, विकारों की तरफ अपने आप भागता है पर सदाचार की तरफ सत्संग और अनुशासन से ही इसे लगाया जा सकता हैI जीवन यापन के लिए सतगुरु के दिए सिद्धांत – सादगी, सेवा, सत, सत्संग और सत सिमरन जीवन में ढा़लना, जप तप संयम धारण कर, सब जीवों से प्रेम रखते जगत की निष्काम सेवा करना और सहज ही वास्तविक कल्याण मार्ग पर अग्रसर होना तथा लक्ष्य प्राप्त करना ही सदाचारी जीवन का मूल तथा फल हैं।
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