Yamunanagar News : राजश्री स्नान के बाद विधिवत रूप से श्री कपाल मोचन मेले का हुआ शुभारंभ

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After Rajshri bath, Shri Kapal Mochan fair was formally inaugurated

(Yamunanagar News) बिलासपुर। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर कपाल मोचन में लगने वाले धार्मिक मेले में लाखों की संख्या में श्रदालु स्नान कर मोक्ष की कामना करते है। प्रशसन की ओर से मेले का शुभारंभ सोमवार से किया गया है वही साधु प्रवेश एवं राजश्री स्नान के बाद मेला विधिवत रूप से शुरू हो गया। संत महात्माओं के राजसी स्नान के साथ ही कपाल मोचन मेले की शुरुआत हो गई। श्री षट दर्शन साधु समाज एकता मंडल के तत्वाधान में साधुओं ने कपाल मोचन के पवित्र सरोवरों में स्नान किया। साधुओं के स्नान के बाद सरोवरों में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।

भारतीय रक्षा संत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत राम स्वरूप ब्रहमचारी की की अध्यक्षता में सबसे पहले सुबह श्री खेड़ा मंदिर बिलासपुर से पवित्र ज्योति प्रज्ज्वलित करके शोभा यात्रा में शामिल की गई। शाही यात्रा बैंड बाजों के साथ शुरू होकर कपालमोचन मार्ग , उधम सिंह चौंक, गुर्जर धर्मशाला ,कंबोज धर्मशाला ,कश्यप धर्मशाला से होते हुए पालकी को उठाए साधु संत कपाल मोचन के कपालमोचन सरोवर में पहुंचे।

शोभा यात्रा का जगह जगह लोगों व श्रद्धालुओं के द्वारा स्वागत किया गया। साधुओं ने सबसे पहले कपाल मोचन सरोवर, ऋण मोचन सरोवर व सूरजकुंड सरोवर पर स्नान किया। समिति द्वारा पिछले लगभग एक दशक से भी अधिक समय से इसी तरह राजश्री स्नान के साथ कपाल मोचन मेले की शुरुआत की जा रही है। महंत राम स्वरूप ने बताया कि जिस तरह से कुंभ मेले की शुरुआत साधुओं के स्नान के बाद होती है उसी तरह कपालमोचन मेले का शु्रभारं साधु प्रवेश राजश्री स्नान के साथ किया जाता है। इस बार एकादशी 12 नवंबर को आने से संतों ने स्नान शुरू किया है। संत एकादशी पर पहला स्नान इसलिए करते हैं क्योंकि साधु अपनी जिंदगी में जो तप करते हैं, स्नान करने से उस तप की शक्तियां सरोवरों के पानी में मिल जाती हैं।

इससे इन सरोवरों में स्नान करने का महत्व ओर भी ज्यादा बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि कपालमोचन का न सिर्फ हरियाणा बल्कि पूरे देश में अपना अलग महत्व है। कपालमोचन ऋषि मुनि व तपस्वियों की धरती रही हैं। साधु संतों के अलावा भगवान शिव, श्रीराम, पांडवों व गुरु गोबिंद सिंह जी के अलावा गुरु नानक देव जी ने यहां पर कदम रख कर इस धरती को पवित्र किया है। राजश्री स्नान करने वालों में ब्रमचारी राम स्वरूप, महंत बुध नाथ, महंत सुनील दास, महंत नित्यानंद जी, पंडित मनोज शर्मा, सहित अनेक साधु संत ,महात्मा व श्रद्वालु उपस्थित रहे।

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