जनसंख्या वृद्धि शरीर के मोटापे की तरह है जो अनेक व्याधियों को जन्म देती है। देश मं व्याप्त गरीबी, बेरोजगारी, अपराध वृद्धि आदि अनेक सामाजिक व्याधियों का प्रमुख कारण जनसंख्या वृद्धि है। यह वक्तव्य महाराजा अग्रसैन कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग द्वरा आयोजित वेब संगोष्ठी जनसंख्या वृद्धि व राष्ट्रीय विकास विषय पर में कॉलेज प्राचार्य डॉ. पी.के.बाजपेयी ने अपने उद्बोधन में कही। उन्होने कहा कि यह संयोग नही है कि दुनिया के सभी विकसित राष्ट्र सीमित जनसंख्या वाले है और अधिक जनसंख्या वाले लगभग सभी राष्ट्र अल्प विकसित है। डॉ. बाजपेयी ने कहा कि जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण परिवार नियोजन में ज्ञान की कमी है। ज्यातार लोग जो जनसंख्या वृद्धि में योगदान कर रहे है वे निरक्षर और गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे है।
उन्होने कहा कि जैसे-जैसे आबादी बढ़ेगी भोजन और पानी जैसी अन्य बुनियादी जरूरतो की खपत बढेगी। विकसीत देशों को जनसंख्या वृद्धि का सामना नही करना पड़ रहा है क्योकि वे लोग शिक्षित है और अधिक बच्चे पैदा करने के परिणामों से अवगत है। अर्थशास्त्र विभाग की अध्यक्ष डॉ. करूणा ने जनसंख्या वृद्धि को मनो सामाजिक रोग की संज्ञा देते हुए उसे राष्ट्र पर बोझ बताया उन्होने कहा कि देश की आधी जीडीपी अनुदान व गरीबी कल्याण योजनाओं पर खर्च होती है। कार्यक्रम के संयोजक एवं समाजशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ.पवन कुमार त्रिपाठी ने जनसंख्या नियन्त्रण के लिए मिशन कोड में व्यार्थ करने की आवश्यकता बतायी और कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या नीति में लक्ष्य स्पष्ट रूप से निर्धारित करने की आवश्यकता है। डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि जनसंख्या वृद्धि देश की तरक्की में बाधक है, देश जितना विकास करता है उसका ज्यादात्तर भाग गरीबी कल्याण जैसी योजनाओं में खर्च हो जाता है। उन्होने कहा कि अगर देश को विकसीत होना है तो जनसंख्या नीति को लागू करना अति आवश्यक है। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. बहादुर, डॉ. विजय चावला, प्रौ. गौरव बरेजा एवं लेप्टीनेट अनिल कुमार आदि प्राध्यापकों का अहम योगदान रहा।