Yamunagar News (आज समाज) यमुनानगर: पहाड़ों में लगातार हो रही बारिश की वजह से यमुना का जलस्तर बढ़ने लग गया है। इस साल पहली बार ऐसा हो रहा है, जब यमुना के जलस्तर में इजाफा हुआ है। क्योंकि बारिश के चलते हथिनीकुंड बैराज में पानी का स्तर बढ़ गया है, इसी वजह से बैराज से पानी छोड़ना शुरू किया गया है। मौजूदा स्थिति में यमुना में 45 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जिसकी वजह से फिलहाल की स्थिति में तो कोई खतरा नहीं है, लेकिन आने वाले समय में अगर इसी तरह से पानी छोड़ना जारी रखा गया तो जल्द ही यमुना खतरे के निशान पर पहुंच सकती है। जिसके कारण आसपास के गांवों में तबाही भी मच सकती है, इसको लेकर किसान चिंतित हो गए हैं। बता दें कि मानसून सीजन की शुरूआत बेशक से जिले में थोड़ी धीमी दिखाई दे रही है, लेकिन पहाड़ों पर लगातार भारी बारिश जारी है। जिसके चलते यमुना पर बने हथिनीकुंड बैराज से पानी यमुना में छोड़ना शुरू किया गया है। पिछले दिनों हथिनीकुंड बैराज से करीब 45 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया। हालांकि, यह पानी सोनीपत क्षेत्र को पार करते हुए दिल्ली की ओर बढ़ गया और इससे कोई खतरा भी नहीं है। उसके बावजूद आगामी कुछ दिनों तक खतरा बरकरार रहेगा। मौसम विभाग के अनुमान 3-4 दिन में भारी बारिश हो सकती है। यमुना में और अधिक पानी छोड़े जाने की आशंका के चलते वीरवार को सिंचाई विभाग के एक्सईएन गुलशन कुमार समेत कई अधिकारियों ने यमुना क्षेत्र का दौरा किया और हालात का जायजा लिया। प्रशासन ने फिलहाल यमुना क्षेत्र में लोगों के जाने पर पाबंदी लगा दी है। पुलिस, पटवारी व आपदा प्रबंधन के कर्मचारियों को मुस्तैद रहने को कहा गया है। पंपसेट तैयार रखने के निर्देश है। आबादी व पशुओं को यमुना क्षेत्र से दूर रखने को कहा गया है। इसे लेकर आसपास के गांवों में मुनादी भी कराई जाएगी। सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता गुलशन कुमार ने बताया कि हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़ा गया था, जो सोनीपत क्षेत्र को पार करता हुआ दिल्ली की ओर बढ़ गया है। फिलहाल कोई खतरा नहीं है। फिर भी एहतियातन नजर रखी जा रही है। दौरा कर यमुना क्षेत्र का जायजा लिया गया है।
पिछले साल यमुना का जलस्तर बढ़ने से आसपास के करीब 25 गांवों के किसानों की 10 हजार एकड़ से ज्यादा फसल खराब हो गई थी। बहुत से किसानों के खेतों में बने कोठड़े व ईंजन यमुना में बह गए थे। साथ ही भैरा बांकीपुर, अटेरना, मनौली, टोंकी, जाजल, बड़ौली, टिकोला, पबसरा, असदपुर नांदनौर, मेहंदीपुर, खुर्मपुर आदि गांवों के बहुत से मकानों में भी पानी घुस गया था। कई गांवों में तो पशुओं के चारे तक का संकट हो गया था, जिसकी वजह से ग्रामीणों को खासी दिक्कत का सामना करना पड़ा था।
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