चेन्नई टेस्ट में टीम इंडिया की हार के बाद प्लेइंग इलेवन को लेकर सबसे ज़्यादा सवाल उठ रहे हैं, जो स्वाभाविक भी है। मेरे ख्याल से चेन्नई में ही 13 फरवरी से शुरू होने वाले दूसरे क्रिकेट टेस्ट के लिए गेंदबाज़ी विभाग में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं।
चेन्नई से खबर यह है कि बाएं हाथ के स्पिनर अक्षर पटेल अब फिट हो गए हैं और वह नेट्स पर भी समय बिता रहे हैं। उनका फिट होना अच्छा संकेत है। मेरे ख्याल से उन्हें शाहबाज़ नदीम की जगह प्लेइंग इलेवन में जगह मिल सकती है। अक्षर अच्छी फॉर्म में भी चल रहे हैं। दूसरा बड़ा बदलाव मैं वाशिंग्टन सुंदर के रूप में देखता हूं। उनकी जगह राहुल चाहर को खिलाया जा सकता है। बेशक वाशिंग्टन सुंदर ने ब्रिसबेन और चेन्नई में खूब रन बनाए हैं लेकिन उन्हें टीम में रखना बहुत ही नकारात्म सोच है। टीम के नियमित स्पिनर का काम पहले विकेट लेना होना चाहिए और फिर अगर वह रन बनाता है तो बहुत अच्छी बात है लेकिन वाशिंग्टन सुंदर का जो असली काम है, उसे वह कुशलतापूर्वक निभा नहीं पा रहे। गेंदबाज़ को बल्लेबाज़ी के लिए रखा जाना मेरी समझ से बाहर है। राहुल चाहर रिस्ट स्पिनर हैं और वह उनकी जगह टीम में ज़्यादा उपयोगी साबित हो सकते हैं। रही बात कुलदीप यादव की तो मैं इतना ही कहूंगा कि टीम मैनेजमेंट को उन पर भरोसा ही नहीं है। अगर होता तो ब्रिसबेन के बाद चेन्नई टेस्ट के लिए भी उनकी अनदेखी न की जाती। अगर टीम मैनेजमेंट को कुलदीप यादव में कोई कमी लगती है तो उन्हें चयनकर्ताओं को इस बारे में बताना चाहिए। उन्हें टीम में पिकनिक के लिए तो रखा नहीं गया है। इस बारे में कहीं न कहीं तालमेल की कमी दिखाई देती है।
मैं तो यहां तक कहूंगा कि आखिर यजुवेंद्र चहल इस टीम में क्यों नहीं हैं। वह बेहतरीन लेग स्पिनर हैं और वह वनडे और टी-20 क्रिकेट में अपनी काबिलियत को साबित भी कर चुके हैं। उनकी इस क्षमता का इस्तेमाल टेस्ट क्रिकेट में भी किया जाना चाहिए। वह टेस्ट क्रिकेट में भी नम्बर वन स्पिनर साबित हो सकते हैं। उनकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह मानसिक तौर पर काफी मज़बूत हैं लेकिन वह अभी टेस्ट टीम का हिस्सा नहीं हैं इसलिए मेरे ख्याल से वाशिंग्टन सुंदर की जगह या तो राहुल चाहर को खिलाओ, नहीं तो कुलदीप यादव पर भी भरोसा दिखाओ।
बल्लेबाज़ी में मुझे लगता है कि मयंक अग्रवाल के साथ ज़्यादती हो रही है। जब उन्हें पहली बार ऑस्ट्रेलिया में उतारा गया तो उन्होंने अपने शानदार प्रदर्शन से चयनकर्ताओं को प्रभावित किया। अब दो-तीन मैच खराब जाने से उन्हें टीम से ही बाहर कर दिया जाता है तो यह इस युवा टैलंट के लिए सही कदम नहीं है। रोहित शर्मा कैसा प्रदर्शन कर रहे हैं, वह भी किसी से छिपा नहीं है लेकिन इस सबके बावजूद मुझे लगता नहीं कि रोहित को बाहर करके मयंक को खिलाया जाएगा।
बाकी लगातार चार टेस्ट मैच हारने पर विराट कोहली की कप्तानी की भी खूब आलोचना की जा रही है। मैं इसे उचित नहीं मानता। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि विराट कोहली टीम इंडिया के सफलतम कप्तान हैं। ऐसे समय में उनकी कप्तानी पर सवाल उठाना नेगेटिव सोच को ही दर्शाता है।
मनिंदर सिंह
(लेखक टीम इंडिया के बतौर लेफ्ट आर्म स्पिनर 35 टेस्ट खेल चुके हैं और इस समय क्रिकेट समीक्षक हैं)