Worship of Maa Skandmata
आज समाज डिजिटल, अंबाला:
Worship of Maa Skandmata : हिंदू धर्म में आदिशक्ति मां दुर्गा के नवरात्रि भक्तों के लिए खास होता है। नवरात्रों के नौ दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस बार चैत्र नवरात्रि 2 मार्च 2022 से शुरू हो गए है और 11 अप्रैल को समाप्त होंगे। हिंदूधर्म के अनुसार नवरात्रि के दिनों को बहुत शुभ माना जाता है। 6 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन है। नवरात्रि के पांचवे दिन मां के पांचवे स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा- अर्चना की जाती है। मां अपने भक्तों पर सदैव आपने आशीर्वाद बनाए रखती है हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। मां का स्मरण मात्र से ही असंभव कार्य संभव हो जाते हैं। जानें मां स्कंदमाता के स्वरूप, शुभ मुहूर्त, भोग, पूजा विधि, शुभ रंग, मंत्र व आरती …..
मां स्कंदमाता का स्वरूप
स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं जिनमें से माता ने अपने दो हाथों में कमल का फूल पकड़ा हुआ है। उनकी एक भुजा ऊपर की ओर उठी हुई है जिससे वह भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और एक हाथ से उन्होंने गोद में बैठे अपने पुत्र स्कंद को पकड़ा हुआ है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं, इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है और सिंह इनका वाहन है। मां स्कंदमाता को पार्वती एवं उमा नाम से भी जाना जाता है। मां की उपासना से संतान की प्राप्ति होती है। मां का वाहन सिंह है। मां स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं।
नवरात्रि का पांचवां दिन शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 04:34 AM से 05:20 AM
विजय मुहूर्त- 02:30 PM से 03:20 PM
गोधूलि मुहूर्त- 06:29 PM से 06:53 PM
अमृत काल- 04:06 PM से 05:53 PM
सर्वार्थ सिद्धि योग- पूरे दिन
रवि योग- 07:40 PM से 06:05 AM, अप्रैल 07
मां स्कंदमाता का भोग
मां स्कंदमाता को आप केले या दूध की खीर का भोग लगा सकते है कियुकी मां को केले या दूध अति प्रिये है। नवरात्रि के 5वें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। हिन्दू मान्यताओ के अनुसार जो भी भक्त स्कंदमाता की विधि –विधान से पूजा-अर्चना करता है उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है। यश, बल और धन की वृद्धि होती है तथा मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं।
मां स्कंदमाता की पूजा विधि
चैत्र नवरात्रि की पंचम तिथि को स्नान आदि करके बाद में माता की पूजा शुरू करें। मां की प्रतिमा को गंगा जल से धो कर शुद्ध करें। इसके बाद कुमकुम, अक्षत, फूल, फल आदि अर्पित करें। मां स्कंदमाता को आप मिष्ठान का भोग लगाएं। माता के सामने घी का दिया जलाएं। उसके बाद पूरे विधि विधान और सच्चे मन से मां की पूजा-अर्चना करें। फिर, मां की आरती उतारें, कथा पढ़ें और आखिरी में मां स्कंदमाता के मंत्र का हीं क्लीं स्वमिन्यै नमः जाप करें।
नवरात्रि के पांचवे दिन का शुभ रंग
इस दिन मां की पूजा करते समय या फिर आप दिन में भी सफेद रंग के कपड़े पहनने चाहिए। इससे मां प्रसन्न होती हैं।
मां स्कंदमाता के मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
मां स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कंदमाता।
पांचवां नाम तुम्हारा आता।
सबके मन की जानन हारी।
जग जननी सब की महतारी।
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं।
हर दम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।
कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा।
कहीं पहाड़ों पर है डेरा।
कई शहरो में तेरा बसेरा।
हर मंदिर में तेरे नजारे।
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे।
भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।
इंद्र आदि देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे।
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
तुम ही खंडा हाथ उठाए।
दास को सदा बचाने आई।
चमन की आस पुराने आई।
स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता।
सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी।
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं।
कई नामो से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा।
कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा।
हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये, तेरे भगत प्यारे भगति।
अपनी मुझे दिला दो शक्ति, मेरी बिगड़ी बना दो।
इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे।
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठाये।
दासो को सदा बचाने आई, चमन की आस पुजाने आई।
Worship of Maa Skandmata
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