प्रभजीत सिंह लक्की, यमुनानगर :
मां दुर्गा के अष्टम स्वरूप मां महागौरी की पूजा भक्तों ने कंजक पूजन के साथ की। मंदिरों के अलावा घर-घर कंजक पूजन किया गया। नवरात्र में व्रत रखने वालों ने कंजक पूजन के साथ अपने व्रत भी संपन्न किए घट (खेत्री) विसर्जन की। मां दुर्गा के आठवें स्वरूप की पूजा के साथ कंजक पूजन के साथ मां दुर्गा को प्रसन्न किया जाता हैं।
कन्याओं को ढूंढ़ कर उनकी पूजा अर्चना करने में लीन दिखे लोग
भक्तों ने हलवा, पूरी, चने अन्य पकवान बना कर कंजक को भोग लगाया और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। वहीं कंजक को विदा करते समय विभिन्न प्रकार के उपहार भी दिए। आठवें नवरात्र पर मंदिरों में मां महागौरी की पूजा श्रद्धा के साथ हुई। कई मंदिरों में भी पूजा अर्चना करके कंजकों को भोजन करवाया गया। गली-मोहल्ले में सुबह से ही मां दुर्गा के भक्तजन कन्याओं को ढूंढ़ कर उनकी पूजा अर्चना करने में लीन दिखे। मान्यता है कि मां भवानी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कन्याओं का सम्मान पूजन बेहद जरूरी है। हर बार की तरह इस बार भी कंजकों की कमी देखी गई। लोगों ने बुधवार को एक दिन पहले ही घर-घर जाकर कंजकों की एडवांस बुकिंग कर ली थी।
देवी भागवत पुराण के अनुसार नवरात्र के अंत में कंजक पूजन का महत्व है। इसके बिना नवरात्र व्रत अधूरा माना जाता है। कंजक पूजन के लिए दस वर्ष तक की नौ कन्याओं की पूजा की जाती है। पूरी, हलवा, खीर, काले चने तैयार कर सबसे पहले मां दुर्गा को भोग लगाकर कंजकों को खिलाया जाता है। भोजन से पहले कन्याओं के पैर धोकर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है।
ढूंढने से भी नहीं मिली कंजक
अष्टमीपूजन पर वीरवार को कई गली मोहल्लों में लोगों को ढूंढने से भी कंजक नहीं मिलीं। दस वर्ष से कम आयु की कंजक को ढूंढने के प्रयास में लोगों ने पहले अपनी बाइक का खूब पेट्रोल खर्चा, फिर कहीं जाकर उन्हें कंजक माता का आर्शीर्वाद प्राप्त हुआ। कंजक पूजन के लिए लोगों ने घरों में लाइन लगा कर अपने घर पर पूजा की। वहीं, कई जगह कंजक की रविवार रात को ही एडवांस में बुकिंग की गई। परस राम नगर निवासी सीमा, पुष्पा और गीता ने बताया कि कंजक पूजन के लिए उन्होंने एक दिन पहले ही कंजक पूजन के लिए घर-घर जाकर बोलकर आए थे।