आज समाज डिजिटल,
Worship Of Maa Katyayani : नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की नौ दिन भक्ति भाव से आराधना की जाती है। नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। माना जाता है महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर मां दुर्गा ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया और उनका कात्यायनी नाम पड़ा। मां कात्यायनी देवी का रूप बहुत आकर्षक है । इनका शरीर सोने की तरह चमकीला है।
Read Also : नवरात्रि स्पेशल : माता की चौकी और मंदिर सजाने टिप्स Temple Decorating Tips
Worship Of Maa Katyayani : मां कात्यायनी की चार भुजा हैं और इनकी सवारी सिंह है। मां कात्यायनी के एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। साथ ही दूसरे हाथों में वरमुद्रा और अभयमुद्रा है। मां कात्यायनी ने महिषासुर नाम के असुर का वध किया था जिस कारण मां कात्यायनी को दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा जाता है। मां कात्यायनी को शहद से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है।
मन्नत पूरी होने पर माँ बनभौरी दरबार में हाजिरी लगाते है श्रद्धालु
Worship Of Maa Katyayani : मां दुर्गा के छठे स्वरूप को कात्यायनी, माँ भ्रामरी जी या माँ बनभौरी वाली कहते हैं। कात्यायनी महर्षि कात्यायन की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी इच्छानुसार उनके यहां पुत्री के रूप में पैदा हुई थीं। महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की थी इसलिए ये कात्यायनी के नाम से प्रसिद्ध हुईं। मां कात्यायनी अमोद्य फलदायिनी हैं।
Read Also : चैत्र नवरात्रि : अलग-अलग प्रसाद से होती है मां प्रसन्न Maa Durga Happy
Read Also : नवरात्रि : दुर्गा सप्तशती पाठ करने के नियम Durga Saptashati
Worship Of Maa Katyayani : योग साधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थान है। इस चक्र में स्थित मन वाला साधक मां कात्यायनी के चरणों में अपना सब कुछ न्यौछावर कर देता है। भक्त को सहजभाव से मां कात्यायनी के दर्शन प्राप्त होते हैं। इनका साधक इस लोक में रहते हुए भी अलौकिक तेज से युक्त होता है।
माता दरबार में श्रद्धालु धागा बांधकर मांगते है मन्नत
Worship Of Maa Katyayani : माता के दरबार में आकर श्रद्धालु श्रृद्धा के साथ धागा बांधकर मन्नत मांगते है। मन्नत पूरी होने पर यहां दरबार में हाजिरी लगाते है। जोड़ों मंदिर की विशेषता नवरात्र में नव दंपति नव-विवाहित (गठ जोड़े) खासतौर से पहुंचकर मां से मन्नत मांगते हैं। अष्टमी और नवमी को कढ़ाई चढ़ाई जाती है। देवी रूपक कंजकों कन्याओं को भोजन कराकर यथाशक्ति दक्षिणा देकर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है। मंदिर में धरती से प्रकट हुई मूर्तियों के अलावा मां काली, भैरों बाबा, राधा-कृष्ण, हनुमान व शिव परिवार शामिल है।
Worship Of Maa Katyayani : चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शाईलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।। मां कात्यायनी मंत्र- चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी मंत्र : – ओम देवी कात्यायन्यै नमः॥ – एत्तते वदनम साओमयम् लोचन त्रय भूषितम। – पातु नः सर्वभितिभ्य, कात्यायनी नमोस्तुते।।
कात्यायनी देवी की आरती Worship Of Maa Katyayani
जय जय अंबे जय कात्यायनी । जय जगमाता जग की महारानी ।।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहां वरदाती नाम पुकारा ।।
कई नाम हैं कई धाम हैं। यह स्थान भी तो सुखधाम है।।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी। कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।।
हर जगह उत्सव होते रहते। हर मंदिर में भक्त हैं कहते।।
कात्यायनी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की ।।
झूठे मोह से छुड़ानेवाली। अपना नाम जपानेवाली।।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो। ध्यान कात्यायनी का धरियो।।
हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी ।।
जो भी मां को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।
Navratri Fasting 2022
Read Also : हिंदू नववर्ष के राजा होंगे शनि देव
Read Also : पूर्वजो की आत्मा की शांति के लिए फल्गू तीर्थ
Connect With Us: Twitter Facebook