Worldwide Cyber Attack: दुनियाभर में साइबर अटैक में कम से कम हर 3 में से 1 व्यक्ति ने खोया निजी डाटा

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Worldwide Cyber Attack
दुनिया में साइबर अटैक में हर 3 में एक व्यक्ति ने खोया निजी डाटा

Aaj Samaj (आज समाज), Worldwide Cyber Attack, नई दिल्ली। उद्योग जगत की 1,600 से अधिक कंपनियों के एक सर्वेक्षण में सामने आया है कि दुनिया भर में हर तीन में से कम से कम एक व्यक्ति ने साइबर अटैक में अपना निजी डाटा खो दिया है और इससे वे लोग बेखबर हैं। साइबर सुरक्षा कंपनी रुब्रिक की ओर से ‘वेकफील्ड रिसर्च’ ने सर्वे करवाया है और यह रिपोर्ट इस साल 30 जून से 11 जुलाई के बीच अमेरिका, ब्रिटेन और भारत सहित 10 देशों में किए गए सर्वेक्षण पर आधारित है।

रुब्रिक के सीईओ एंड को-फाउंडर विपुल सिन्हा की स्टेटमेंट

सर्वेक्षण में 500 या इससे अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों के आईटी तथा सुरक्षा संबंधी पॉलिसी मेकर्स शामिल हुए। रुब्रिक के सीईओ एंड को-फाउंडर विपुल सिन्हा ने बताया कि उद्योग ने हमलों से निपटने पर ध्यान केंद्रित किया है, लेकिन अब यह स्वीकार करते हुए साइबर फ्लेक्सिबिलिटी के इर्द-गिर्द यह मानकर एक रणनीति बनाने की जरूरत है कि साइबर हमले होंगे।

साइबर उद्योग एक वर्ष में संयुक्त रूप से 200 अरब डॉलर कमा रहा

विपुल सिन्हा ने बताया, दुनिया भर में साइबर उद्योग एक वर्ष में संयुक्त रूप से 200 अरब डॉलर कमा रहा है। रुब्रिक जीरो लैब की हमारी रिपोर्ट के अनुसार, यह निराशाजनक है कि दुनिया भर में तीन में से एक व्यक्ति ने साइबर हमले में अपना व्यक्तिगत डाटा खो दिया है और उन्हें इसकी जानकारी तक नहीं है। भारत में आईटी से जुड़े 49 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उनकी आर्गनाइजेशन की डेटा नीति में सुरक्षा का जिक्र तक नहीं है। वहीं, 30 प्रतिशत लोग को लगता है कि अगले 12 महीनों के भीतर उनकी कंपनी का संवेदनशील डाटा चोरी हो सकता है।

किसी हमले को 100 प्रतिशत नहीं रोका जा सकता

सिन्हा ने कहा, आप किसी हमले को 100 प्रतिशत नहीं रोक सकते। व्यवसायों को साइबर फ्लेक्सिबिलिटी के इर्द-गिर्द एक नई रणनीति बनाने की जरूरत है, जो यह ध्यान में रखकर बनाई जाए कि हमले होंगे ही। हर बिजनेस डाटा एकत्र कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत के आईटी से जुड़े 34 प्रतिशत लोग इस बात से सहमत हुए कि डाटा सुरक्षा के जोखिम को प्रबंधित करने की उनकी क्षमता उनके बढ़ते डेटा भंडार के अनुरूप नहीं है। करीब 54 प्रतिशत भारतीय कंपनियों का मानना है कि कृत्रिम मेधा (एआई) अपनाने से संवेदनशील डेटा को सुरक्षित करने की उनकी क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जबकि 24 प्रतिशत ने कोई प्रभाव नहीं पड़ने की संभावना जताई है।

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