India On Indus Water Treaty: पाकिस्तान की गलत कार्रवाइयों ने सिंधु जल संधि के प्रावधानों व कार्यान्वयन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला

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Indus Water Treaty
पाकिस्तान की गलत कार्रवाइयों ने सिंधु जल संधि के प्रावधानों व कार्यान्वयन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला

आज समाज डिजिटल, नई दिल्ली, (India On Indus Water Treaty): भारत सरकार ने सितंबर 1960 की सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) में संशोधन के लिए पाकिस्तान को नोटिस जारी किया है। सरकार ने कहा है कि पाकिस्तान की गलत कार्रवाइयों ने सिंधु जल संधि के प्रावधानों व उसके कार्यान्वयन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है और भारत को पड़ोसी मुल्कल सिंधु जल संधि के संशोधन के लिए नोटिस जारी करने के लिए मजबूर किया है।

भारत सरकार ने नोटिस में कहा कि पारस्परिक तौर पर एक मध्यस्थ रास्ता खोजने के लिए भारत द्वारा बार-बार प्रयास करने के बावजूद, पाकिस्तान ने 2017 से 2022 तक स्थायी सिंधु आयोग की पांच बैठकों के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा से इनकार किया है। सरकार ने यह भी कहा कि इन कारणों से अब पाकिस्तान को नोटिस जारी किया गया है।

2015 में शुरू हुआ था असली विवाद

सिंधु जल समझौते को लेकर असली विवाद तब शुरू हुआ जब 2015 में पाकिस्तान ने जब भारत की किशनगंगा और रातले जलविद्युत परियोजनाओं (एचईपी) पर अपनी आपत्तियों की जांच के लिए एक तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति का अनुरोध किया, इसके बाद 2016 में, पाकिस्तान ने एकतरफा इस अनुरोध को वापस ले लिया और प्रस्तावित किया कि एक मध्यस्थता अदालत उसकी आपत्तियों पर फैसला सुनाए। हालांकि, पाकिस्तान की यह एकतरफा कार्रवाई आईडब्ल्यूटी के अनुच्छेद द्वारा परिकल्पित विवाद समाधान के श्रेणीबद्ध तंत्र का उल्लंघन है।

विश्व बैंक में अलग अनुरोध किया

भारत ने इसके बाद मामले को एक तटस्थ विशेषज्ञ के पास भेजने के लिए विश्व बैंक में एक अलग अनुरोध किया। उसके बाद विश्व बैंक ने 2016 में खुद इसे स्वीकार किया और हाल ही में तटस्थ विशेषज्ञ व कोर्ट आॅफ आर्बिट्रेशन प्रक्रियाओं पर कार्रवाई शुरू की है। हालांकि, समान मुद्दों पर इस तरह के समानांतर विचार आईडब्ल्यूटी के किसी भी प्रावधान के अंतर्गत नहीं आते हैं।

नोटिस जारी करने का मुख्य कारण

भारत सरकार द्वारा सिंधु जल संधि में संशोधन के लिए जारी नोटिस का मुख्य कारण पाकिस्तान को आईडब्ल्यूटी के उल्लंघन को सुधारने के लिए 90 दिन में अंतर-सरकारी वार्ता में हिस्सा लेने का अवसर प्रदान करना है। बता दें कि यह वार्ता पिछले 62 वर्ष में तय किए गए समझौते को शामिल करने के लिए आईडब्ल्यूटी में भी संशोधन करेगी।

एक जल-वितरण संधि है आईडब्ल्यूटी

भारत-पाक के बीच सिंधु जल संधि एक जल-वितरण संधि है।19 सितंबर 1960 को तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान द्वारा यह संधि लाई गई थी। विश्व बैंक भी इस संधि को व्यावहारिक बनाने के लिए इसका एक हस्ताक्षरकर्ता बना था। इस संधि के तहत ब्यास, रावी और सतलुज के पानी पर भारत जबकि सिंधु, चिनाब और झेलम के अधिकांश पानी पर पाक का अधिकार है।

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