अवैध प्रवासी डील पर ब्रिटेन और फ्रांस ने सहमति जताई, घोषणा के बाद ही बिल का विरोध शुरू

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Britain and France Agreement on migrant Deal

आज समाज डिजिटल, Britain and France Agreement on migrant Deal : अवैध प्रवासी समझौते पर ब्रिटेन और फ्रांस ने आपसी सहमति जताई है। लेकिन घोषणा के बाद ही इस बिल का विरोध शुरू हो गया है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने शुक्रवार को असुरक्षित अवैध यात्रा करने वाले प्रवासियों पर संयुक्त रूप से कार्रवाई करने के लिए एक नए समझौते पर सहमति जताई। Agreement between Britain and France 

एंग्लो-फ्रेंच शिखर सम्मेलन के लिए पेरिस की यात्रा के दौरान, यूके के पीएम सनक ने घोषणा की कि नए उपायों में फ्रांसीसी सीमा पर स्थित एक नया केंद्र शामिल होगा, जो तीन वर्षों में यूके के वित्त पोषण में 480 मिलियन पाउंड और फ्रांसीसी सीमा अधिकारियों के लिए अतिरिक्त ड्रोन और निगरानी तकनीक से समर्थित होगा।

छोटी नौकाओं पर आने वाले अप्रवासियों पर लगेगी रोक

इस बिल में इंग्लिश चैनल के द्वारा ब्रिटेन में छोटी नौकाओं पर आने वाले अवैध प्रवासियों पर रोक लगाई जाएगी। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक द्वारा अवैध प्रवासी बिल को लेकर की गई घोषणा के बाद इस बिल का विरोध शुरू हो गया। संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी भी इस बिल का विरोध किया और इसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया था। पीएम सुनक ने कहा कि हमें इस समस्या का प्रबंधन करने की जरूरत नहीं है, हमें इसे तोड़ने की जरूरत है।

सुनक के पूर्ववर्ती, लिज ट्रस और बोरिस जॉनसन के तहत ब्रेक्सिट के बाद के तनावपूर्ण संबंधों के बाद ब्रिटेन और फ्रांस के बीच सबसे सौहार्दपूर्ण बातचीत हुई। इस समझौते से समुद्र तटों पर गश्त में सहायता होगी, इससे आपराधिक गिरोहों की तस्करी करने वाले लोगों को रोकने में मदद होगी।

संयुक्त राष्ट्र ने किया विरोध

उधर, ब्रिटेन के इस प्रस्तावित बिल का संयुक्त राष्ट्र ने विरोध किया है। संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थियों से संबंधित एजेंसी यूएनएचसीआर ने कहा है कि ‘यह बिल 1951 के शरणार्थी सम्मेलन का साफ उल्लंघन है। इसमें कहा गया है कि शरणार्थी वो हैं, जो प्रताड़ना से बचने के लिए शरण मांग रहे हैं और इसके तहत उन्हें बेहद कठिन हालात के अलावा किसी शर्त पर वापस नहीं भेजा जा सकता। (Agreement between Britain and France)

एजेंसी ने कहा कि अधिकतर लोग युद्ध और प्रताड़ना के कारण अपना देश छोड़कर भागते हैं और उन्हें पासपोर्ट और वीजा नहीं मिल पाता। ऐसे में उनके लिए कोई कानूनी रास्ता नहीं बचता। अब इस आधार पर उन्हें भविष्य में भी शरण नहीं देना गलत है और यह शरणार्थी सम्मेलन में तय की गईं बातों का उल्लंघन है।’

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