रोहतक : विश्व आत्महत्या बचाव दिवस मनाया

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संजीव कोशिक, रोहतक:

जैसा कि सर्वविदित है कि 10 सितंबर को वैश्विक स्तर पर विश्व आत्महत्या बचाव दिवस मनाया जाता है। विश्व आत्महत्या बचाव दिवस मे आत्महत्या की बढती प्रवति पर रोकथाम लगाने एवं इस बढती हुई समस्या के प्रति लोगों मे जागरूकता लाने के उद्देश्य से इंटरनेशल एसोसिएशन फार सुसाईड प्रवेंशन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व मानसिक स्वास्थ्य महासंघ के साथ समझौते के अंर्तगत वर्ष 2003 से प्रतिवर्ष 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या बचाव दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष भी शुक्रवार को पीजीआईएमएस में लोगों को जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इस बार की थीम कार्य के द्वारा आशा का संचार रखा गया है। यह कहना है मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के निदेशक कम सीईओ डॉ. राजीव गुप्ता का।उन्होंने बताया कि राष्टीय अपराध रिकोर्ड ब्यूरो के मुताबिक भारत मे हर साल एक लाख से ज्यादा लोग विभिन्न कारणों से आत्महत्या करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकडों के अनुसार दुनियाभर मे हर 40 सैकेंड मे एक व्यक्ति आत्महत्या करता है एवं प्रतिवर्ष दुनियाभर में लगभग 8 लाख लोगों की जान आत्महत्या की वजह से जाती है।  डॉ. राजीव गुप्ता ने बताया कि दुनियाभर मे एक ओर जहां विभिन्न तरह की बीमारियां हर साल लाखों लोगों की जान ले लेती है वहीं ऐसे लाखों लोग भी हैं जो किन्हीं कारणों से स्वयं अपने जीवन के दुश्मन बन जाते हैं और आत्महत्या जैसे कदम उठाते हैं। पिछले कुछ सालों मे आत्महत्या हमारे समाज के सामने एक बडी समस्या बनकर उभरी है एवं आत्महत्या की प्रवति दिनप्रतिदिन सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी एक बडी समस्या का रूप  धारण कर रही है जोकि हमारे समाज के लिए एक चिन्तनीय विषय है। डॉ. गुप्ता ने कहा कि परिस्थितिवश जीवन को खत्म कर देेने का ख्याल जीने की लाख कोशिशों से कहीं अधिक मजबूत होता है, जिसमें थोडा सा आवेश उन्हें जीवन खत्म करने के लिए विवश कर देता है। बदलती लाइफस्टाइल एवं कोविड महामारी के चलते आज आम आदमी का दिनचर्या में काफी बदलाव आया हैै, इसकी वजह से लोग छोटी छोटी बात पर गुस्सा कर बैठते हैं। पारिवारिक परिस्थितियों के चलते 80 प्रतिशत लोग आत्महत्या कर रहे हैं, कभी डिप्रेशन मे आकर तो कभी भावनात्मक होकर यदि कुछ क्षणों तक व्यक्ति अपनी भावनाओं पर संयम रख ले तो आत्महत्या की संभावना कम हो जाती है। एक अध्ययन के अनुसार आत्महत्या करने वाले 48 प्रतिशत लोगों की सही समय पर की गई कांउसलिंग उनके विचार को बदल सकती है। पिछले कुछ सालों मे आत्महत्या आज हमारे समाज के सामने एक बडी समस्या बनकर उभरी है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मत्यु के जितने भी कारण हैं, उनमें 1.4 प्रतिशत मृत्यु आत्महत्या के कारण हो रही है। डॉ. राजीव गुप्ता ने बताया कि इसके प्रमुख कारणों मे गंभीर शारीरिक रोग, पारिवारिक कल्ह, संबंधों मे कटुता, प्रेम प्रसंग, सामाजिक एवं रोजगार की उथल पुथल, नशे की लत, मानसिक क्रोध, व्यक्तित्व मे खराबी एवं जीवन मे आने वाली अत्यंत दुखदाई घटनाएं प्रमुख है।
प्रोफैसर डॉ. प्रीति सिंह ने बताया कि यदि व्यक्ति एक मिनट थोड़े शांत मन से खुद से बात कर ले तो आत्महत्या का विचार मन से निकल जाता है क्योंकि आत्महत्या क्षणिक आवेश मे उठाया गया एक कदम है। उन्होनें बताया कि हम भावनात्मक रुप से कमजोर होते जा रहे हैं और तनाव के कारण छोटी-छोटी बातें ट्रिगर का काम करते हुए आत्महत्या की ओर ले जाती हैं। डॉ प्रीति सिंह ने जोर देते हुए कहा कि गुस्सा सिर्फ थोड़ी सी देर के लिए होता है, अगर हम उस पर थोड़ा सा काबू कर लें तो आत्महत्या जैसे प्रयासों से बचा जा सकता है। डॉ. पुरूषोतम ने कहा कि जिंदगी ईश्वर का दिया हुआ एक बेशकीमती उपहार है, हमें ऐसे ही जिंदगी बर्बाद नहीं करनी चाहिए। उन्होनें कहा कि आत्महत्या से संबधित आपात स्थिति में आप ही उपचार कर सकते है जैसें ऐसे व्यक्ति को गंभीरता, बातों को ध्यान से सुने, भावनाओं की कद्र करें, सीधे प्रश्र पूछे, उसे विश्वास दिलाएं की समस्याएं अस्थाई है एवं उसका निदान हो सकता है, अकेला न छोडें, खतरनाक एव घातक चीजों से दूर रखें, जीवन की शक्ति को जागृत करें एवं हर संभव मदद के लिए प्रयास करना चाहिए और समय-समय पर मानसिक रोग विशेषज्ञ एवं मनोवैज्ञानिक की सलाह लेनी चाहिए। डॉ. पुरूषोतम ने कहा कि इस पर चिकित्सकों के साथ-साथ परिवार व समाज को भी जागरुक होना होगा ताकि किसी के बहुमूल्य जीवन को बचाया जा सके। डॉ. सुनीला राठी ने सोशल मीडिया के बढ़ते हुए प्रभाव, संयुक्त परिवारों का विघटन, बेरोजगारी,पारिवारों मे आपसी कलह, प्रेम प्रसंग के कारकों को आत्महत्या के साथ जोड़ते हुए अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने मनोवैज्ञानिक तरीकों से आत्महत्या से बचाव के तरीकों से अवगत कराया। डॉ. सुनीला ने बताया कि आत्मघाती संकट क्षणिक या बहुत कम समय के लिए होता है, यदि प्रारंभिक समय मे इसकी पहचान कर ली जाए तो काफी हद तक इसे रोका जा सकता है। डॉ. विनय ने बताया कि शुक्रवार को आमजन को जागरूक करने के लिए चौधरी रणबीर सिंह ओपीडी में मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं नर्सिंग कालेज द्वारा सुबह मरीज एवं उनके परिजनों को जागरूक करने के उद्देश्य से एक हैल्प डेस्क कम प्रर्दशनी का आयोजन किया जाएगा, इसके साथ-साथ डॉ. प्रीति सिंह व डॉ. पुरूषोतम द्वारा एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्रों को एलटी 5 में आत्महत्या के कारणों एवं उनके बचावों से संबंधित व्याख्यान दिया जाएगा। इस अवसर पर मुख्यअतिथि के तौर पर पीजीआई निदेशक डॉ. रोहताश यादव व डॉ. राजीव गुप्ता उपस्थित होंगे।