आज समाज डिजिटल , Rohtak News: अखिल भारतीय जाट सूरमा स्मारक महाविद्यालय में एनसीसी व वाईआरसी के सौजन्य से विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस पर वर्कशाप का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता पंडित भगवत दयाल शर्मा हेल्थ साइंस विश्वविद्यालय के मनोश्चिकित्सक विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ. पुरुषोत्तम और डॉ. प्रीती सिंह व डॉ. सुनीला रहे। वक्ताओं का अंग्रेजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. शबनम राठी और वाईआरसी के कॉओर्डिनेटर डॉ. विवेक दांगी ने किया। मंच संचालन डॉ. मनीषा दहिया ने किया।
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जाट कॉलेज में विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस पर वर्कशाप
मुख्य वक्ता डॉ. पुरुषोत्तम ने बताया कि सिजोफ्रेनिया का मरीज हमेशा भ्रम की स्थिति में रहता है। वह अकेले रहना और खुद से बातें करना पसंद करता है। उसे ऐसी चीजें दिखाई व सुनाई देती हैं, जो हकीकत में होती ही नहीं हैं। धीरे-धीरे उसका व्यवहार हिंसक और आक्रामक हो जाता है। यह बीमारी इस हद तक बढ़ जाती है कि व्यक्ति अपना ही दुश्मन बन जाता है। उन्होंने बताया कि बीमारी का कारण तनाव, पारिवारिक झगड़े व नशे की लत हो सकती है। ऐसे में समय से समुचित इलाज बेहद जरूरी है।
मरीज को इलाज के लिए चिकित्सक के पास ले जाएं
डॉ. प्रीती सिंह ने बताया कि जानकारी के अभाव में आमतौर पर लोग इस बीमारी की चपेट में आने वाले युवाओं की सनक या भूत-प्रेत का साया समझ बैठते हैं। जबकि इसमें अपनी भावनाओं व विचारों पर मरीज का कोई नियंत्रण नहीं रहता। ऐसे मरीजों के परिजन कई बार झाड़-फूक कराने में लग जाते हैं जो इनकी मानसिक स्थिति को और खराब कर देते हैं। इसलिए अंधविश्वास में न पडक़र ऐसी स्थिति में मरीज को इलाज के लिए चिकित्सक के पास ले जाएं। वहीं डॉ. सुनीला ने मानसिक रोगों पर बताया कि जागरूकता के जरिए सिजोफ्रेनिया जैसी बीमारी के लक्षण पहचानकर और समय पर काउंसलिंग की जाए तो बीमारी पर समय रहते काबू पाया जा सकता है। इसमें परिवार साथ रहकर मरीज को जल्द से जल्द ठीक कर सकता है।
इस अवसर पर एनसीसी कैडेट्स व वाईआरसी के विद्यार्थी रहे उपस्थित
इस अवसर पर कॉलेज की उपप्राचार्या डॉ. शबनम राठी, वाईआरसी के कॉओर्डिनेटर डॉ. विवेक दांगी, डॉ. नीरा, डॉ. रितु, डॉ. मोनिका, डॉ. प्रियंका, डॉ. संजीत, डॉ. लक्ष्मी, डॉ. समीर, डॉ. निशांत जाखड़ सहित सभी एनसीसी कैडेट्स व वाईआरसी के विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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