आज समाज डिजिटल, रोहतक:
वैश्विक स्तर पर प्रेस की स्वतंत्रता तथा पत्रकारिता के समक्ष बढ़ती चुनौतियों पर मंथन करते हुए तथा प्रेस की स्वतंत्रता पर आधारित नारे तथा पोस्टरों के जरिए अभिव्यक्ति की आजादी महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया गया।
अपने विचार रखे
विभागाध्यक्ष प्रो. हरीश कुमार तथा प्राध्यापक सुमेधा धनी, सुनित मुखर्जी तथा डा. नवीन कुुमार ने प्रेस स्वतंत्रता तथा अभिव्यक्ति की आजादी के विभिन्न पहलुओं पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। शोधार्थी कुलदीप कुमार तथा रविकांत, विद्यार्थी- जैसमीन बिश्रोई, रोहित शर्मा, आशीष कुमार, सोनाली, साक्षी, आदि ने अपने विचार रखे। साक्षी तथा आशीष कुमार ने प्रेस स्वतंत्रता विषय पर स्वरचित कविता पाठ किया। कार्यक्रम का संयोजन तथा संचालन सहायक प्रोफेसर सुनित मुखर्जी ने किया।
जीवन की कुर्बानी दी
विभागाध्यक्ष प्रो. हरीश कुमार ने कहा कि भारत में पत्रकारिता का इतिहास स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा रहा है। राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में पत्रकारों ने जीवन की कुर्बानी दी। वहीं, स्वतंत्रता प्राप्ति उपरांत भी पत्रकारिता जनसरोकारों को प्रमुखता से उठाती रही है। भारत का संविधान ही पत्रकारों के लिए उनकी मार्गदर्शक पत्रिका होना चाहिए। प्रेस स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए लोकतंत्र बरकरार रहना उन्होंने जरूरी बताया।
शिक्षा की जरूरत
सहायक प्रोफेसर सुमेधा धनी ने कहा कि प्रेस स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा की जरूरत है। भारत में महिला शिक्षा के लिए पहल करने वाली प्रथम शिक्षिका सावित्रीबाई फुले तथा भारतीय संविधान के जनक डा. बाबा साहेब अंबेडकर का पत्रकारिता में योगदान का विशेष उल्लेख उन्होंने किया। प्रेस स्वतंत्रता को मानव अधिकारों के लिए उन्होंने अहम बताया।
जागरूक नागरिक समाज प्रेस स्वतंत्रता
सहायक प्रोफेसर सुनित मुखर्जी ने विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के आयोजन, जो कि 3 मई को होता है, की पृष्ठभूमिक प्रस्तुत की। वर्ष 2022 के इस दिवस के थीम-जनर्लिज्म अंडर डिजीटल सीज बारे भी बताया। उन्होंने कहा कि जागरूक नागरिक समाज प्रेस स्वतंत्रता को बरकरार रखने के लिए जरूरी है।
डिजिटल पत्रकारिता
सहायक प्रोफेसर डा. नवीन कुमार ने विश्व प्रेस स्वतंत्रता के संदर्भ में विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि डिजिटल पत्रकारिता के जरिए जहां सूचना तथा समाचार का लोकतंत्रीकरण हुआ है, वहीं डिजीटल सर्वीलेंस भी अब एक चुनौती है। विभाग के शोधार्थियों तथा विद्यार्थियों ने सृजनशीलता का प्रदर्शन करते हुए प्रभावी स्लोगन तथा पोस्टर के जरिए प्रेस स्वतंत्रता की आवाज बुलंद की।