आज समाज डिजिटल, पानीपत:
पानीपत (world asthma day News Panipat) विश्व अस्थमा दिवस के उपलक्ष्य में जानकारी देते हुए सांस रोग विशेषज्ञ डॉ राजेश कोशल बताया कि भारत में काफी तादाद में लोग अस्थमा से पीड़ित है और 20 से 70 फीसदी अस्थमा के लोगों का इलाज नहीं किया जाता। क्योंकि बहुत से लोगों को जानकारी के अभाव में ये पर ही नहीं होता की उन्हें अस्थमा है। उन्होंने कहा कि अस्थमा को कलंक के रूप में ना जाना जाए, क्योंकि इसका इलाज उपलब्ध है, बस जरूरत है जागरूक होने की। डॉ राजेश कोशल ने कहा कि लोगों तक अस्थमा से जुड़ी सही जानकारी पहुंचाने एवं बीमारी के प्रति उन्हें जागरूक करने के लिए संपूर्ण विश्व में इस दिन का आयोजन होता है। अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जो कि फेफड़ों पर आक्रमण कर श्वसन प्रणाली को प्रभावित करती है। ऐसे में अस्थमा के मरीजों की सहायता करना भी इस दिन का मकसद है।
विश्व अस्थमा दिवस का इतिहास
डॉ राजेश कोशल ने बताया कि विश्व अस्थमा दिवस की शुरुआत 1993 में ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से की गई थी। 1998 में इस दिन का आयोजन 35 से अधिक देशों में किया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस दिन को महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य दिवसों में से एक माना जाता है।
अस्थमा के लक्षण
डॉ राजेश कोशल ने बताया कि अस्थमा के लक्षणों में मुख्य रूप से सांस लेने में कठिनाई होने लगती है क्योंकि श्वास नलियों में सूजन आने के कारण श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है। इसके अलावा खांसी, घबघराहट तथा सीने में जकड़न व भारीपन होना, फेफड़ों में लंबे समय तक कफ जमे रहना, नाड़ी गति का बढ़ जाना, सांस लेते समय सीटी की आवाज का आना आदि भी अस्थमा के लक्षण हैं।
अस्थमा के मरीज इन बातों का रखें ध्यान
डॉ कोशल ने बताया कि अस्थमा के मरीज गरिष्ठ भोजन, तले हुए पदार्थ न खाएं। अधिक मीठा, ठण्डा पानी, दही का सेवन भी न करें। अस्थमा के रोगियों को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा वाली चीजों का सेवन कम से कम करना चाहिए। कोल्ड ड्रिंक के सेवन से भी परहेज करें। नियमित रूप से इनहेलर लेते रहें। उन्होंने कहा कि काफी लोग इस बीमारी को छुपाते है जो कि जानलेवा हो सकता है। अपने चिकित्सक से समय समय पर परामर्श लेते रहे ओर अपने लक्षणों का सही समय पर उपचार लेते रहे। इस मौके पर सिप्ला कम्पनी से डिम्पल तागरा व मंदीप सिंह मौजूद रहे।