एचआइवी/एड्स एक ऐसी जानलेवा बीमारियों में से एक है जिसके बारे में लोगों को जागरुक करने की जरूरत है। वर्तमान समय में भले ही दुनिया के वैज्ञानिक एवं चिकित्सक इस बीमारी के इलाज के लिए प्रयत्नशील हैं, परन्तु अभी तक एड्स का स्थायी नहीं मिला है। वहीं, विशेषज्ञों की माने तो एड्स से बचाव के लिए केवल सुरक्षा, सतर्कता व जागरुकता ही जरूरी है। अगर हम आप के दिनांक में देशभर में एड्स के रोगियों का आंकड़ा निकालें तो हम पाएंगे कि इनकी संख्या करोड़ों का आंकड़ा छू रही है और सैकड़ों लोग रोजाना मौत के मुंह में समा रहे हैं।
एड्स क्या है
एड्स का पूरा नाम है ‘एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम’ है और यह बीमारी एच.आई.वी. वायरस से होती है। यह वायरस मनुष्य की प्रतिरोधी क्षमता को कमज़ोर कर देता है। एड्स के फैलने के 3 मुख्य कारण हैं- असुरक्षित यौन संबंधो, रक्त के आदान-प्रदान तथा मां से शिशु में संक्रमण द्वारा। भारत में एड्स से प्रभावित लोगों की बढ़ती संख्या के सबसे बड़े कारण आम जनता को एड्स के विषय में जानकारी न होना, एड्स तथा यौन रोगों के विषयों को कलंकित समझा जाना और शिक्षा में यौन शिक्षण व जागरूकता बढ़ाने वाले पाठ्यक्रम का अभाव अधिक है।
एड्स लक्षण
- लगातार बुखार आना
- हफ्तों खांसी रहना
- अचानक वजन का घटना
- मुंह में घाव होना
- भूख खत्म हो जाना
- बार-बार दस्त लगना
- गले में सूजन होना
- त्वचा पर चकत्तेश पड़ना
- सोते समय पसीना आना
- थकान व कमजोरी होना
- हैजे की शिकायत होना
- मतली व भोजन से अरुचि
एड्स का निदान
यह एक लाइलाज बीमारी है। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को जब तक एड्स के लक्षण नहीं दिखते तब तक इसका पता चलना मुश्किल है। आंकड़ों के अनुसार युवाओं में एचआईवी का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। जिसका सबसे बड़ा कारण असुरक्षित यौन संबंध है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में संक्रमण का दर तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए असुरक्षित यौन संबंधों से बचें, पुरानी सूई का प्रयोग न करें, संक्रमित खून का प्रयोग न करें। इसके अलावा एचआईवी पॉजिटिव होने पर 6 से 10 साल के अंदर कभी भी एड्स हो सकता है। स्क्रीनिंग टेस्ट के द्वारा एड्स का निदान हो जाता है।