संजीव कुमार, रोहतक:
विश्वविद्यालयों की राष्ट्र की वैज्ञानिक प्रगति में महत्त्वपूर्ण •ाूमिका है। जरूरत है कि विश्वविद्यालय में नवोन्मेषी शोध संस्कृति की स्थापना की जाए ताकि वैज्ञानिक शोध को प्रयोगशालाओं से निकालकर वाणिज्य उत्पाद के रूप में तब्दील किया जा सके। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (मदवि) के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने आज ये विचार विश्वविद्यालय स्ट्राइड प्रोग्राम द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला व प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किए।
कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के वैज्ञानिक उपयोग से चिकित्सीय उत्पाद समेत अन्य समाजोपयोगी उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि समय की जरूरत है कि इंटर डिसीप्लीनरी शोध को प्रोत्साहन दिया जाए। मदवि में अन्तर विषयक शोध को बढ़ावा देने की बात कुलपति ने कही। यूजीसी स्ट्राइड उप समन्वयक प्रो. मुनीष गर्ग ने स्वागत •ााषण दिया। जीवन विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता तथा यूजीसी स्ट्राइड के समन्वयक प्रो. जेपी यादव ने इस राष्ट्रीय कार्यशाला की थीम पर प्रकाश डाला। डीन, एकेडमिक एफेयर्स प्रो. नवरतन शर्मा तथा चौ. रणबीर सिंह इंस्टीट्यूट आॅफ सोशल एंड इकोनोमिक चेंज के निदेशक प्रो. इंद्रजीत ने •ाी उद्घाटन सत्र में संबोधन किया। मंच संचालन माइक्रोबायोलोजी वि•ााग के प्राध्यापक तथा कार्यशाला के आयोजन सचिव डा. राजीव के कपूर ने किया। आ•ाार प्रदर्शन यूजीसी स्ट्राइड उप समन्वयक डा. संतोष कुमार तिवारी ने किया। इस अवसर पर शोध निदेशक प्रो. अनिल छिल्लर, प्रो. पुष्पा दहिया, प्रो. विनिता शुक्ला, प्रो. अनीता सहरावत, प्रो. संजू नंदा, प्रो. बलजीत सिंह यादव, प्रो. विनिता हुड्डा समेत अन्य प्राध्यापकगण एवं शोधार्थी उपस्थित रहे। यह कार्यशाला 21 अगस्त तक आयोजित की जाएगी।
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