Workers on the road, Politics on bus!मजदूर सड़क पर, सियासत बस पर !

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उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू फिलहाल अदालत के आदेश पर चौदह दिनों के लिए लखनऊ की जेल भेज दिए गए हैं। पहले आगरा में गिरफ्तार किए गए और अगले दिन जैसे ही जमानत मिली लखनऊ पुलिस ने उन्हें अदालत के दरवाजे से निकलते ही धर लिया। वे आगरा में इस बात का विरोध करने गए थी कि उनकी पार्टी द्वारा उत्तर प्रदेश से प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए भेजी गई बसों को उत्तर प्रदेश सरकार अपनी सीमा के भीतर प्रवेश नहीं करने दे रही है । अफसरान कभी कहते हैं कि इन्हें लखनऊ ले आओ तो फिर कहते हैं कि नोएडा-गाजियाबाद ले जाओ ।
सरकार और भाजपा का कहना था कि बसों के नामपर तमाम तिपहिया और एम्बुलेंस के तौर पर रजिस्टर्ड खटारा वाहनों की सूची भेजकर कांग्रेस ने फर्जीवाड़ा किया है, इनसे प्रवासी श्रमिकों को भेजना खतरे से खाली नहीं है। बहरहाल कोरोना के आपदकाल और देश में मजदूरों के लिए इतिहास के सबसे कष्टकाल के दौरान उत्तरप्रदेश का राजनीतिकाल माहौल को कसैला कर गया है । सियासत दोनों ओर से हुई, इसमें शक नहीं, प्रियंका गांधी की पेशकश में और उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के इनकार में भी, लेकिन इसका फलित क्या हुआ निश्चित रूप से सोचनीय है । उत्तर प्रदेश की सीमाओं से लेकर देश के प्रमुख महानगरों में प्रवासी श्रमिक परेशान हैं और कहना गलत न होगा, हमारी तरक्की और स्वाभिमान की असली तस्वीर पेश कर रहे हैं।
महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की सरकारों की कोशिशों से प्रवासी श्रमिकों के सबसे बड़े गढ़ मुंबई से मुलुक आने वालों की तादाद बढ़ गई और मजदूर काफी संख्या में अपने गांव पहुच रहे हैं तो दूसरी तरफ सूबे की सियासत में पिछले अड़तालीस घंटे से सिर्फ बस -बस का खेल सुर्खियों में रहा है।  फिलहाल उत्तर प्रदेश में बस तो हैं लेकिन उनके रास्ते में राजनीति का रोड़ा बड़ा है । प्रियंका गांधी ने मजदूरों के लिए एक हजार बसों की पेशकश की जिसे यूपी सरकार ने मान भी लिया लेकिन फिटनेस सहित तमाम विवरणों के साथ। उस पल लगा जैसे राजनीति छोड़कर दोनों पक्ष  मजलूम बने मजदूरों की मदद में जुट  गए हैं। मजदूर  बेबस हाइवे पर भटक रहे हैं, लारी और कंटेनर में ठुंसे पड़ रहे हैं और सियासत की बस दौड़ने लगी है। आरोप-प्रत्यारोप  जारी रहा और इन सब के बीच  मजदूर  फंसे रहे जो इस बसों के सहारे घर वापसी का सपना देख रहे थे। मजदूरों के लिए बसें चलाने के प्रियंका गांधी के प्रस्ताव पर योगी सरकार और कांग्रेस में राजनीति वास्तव में दुखद है। उत्तर प्रदेश की नोयडा व गाजियाबाद सहित कई सीमाओं पर हजारों मजदूर घरों को जाने के लिए बसों के इंतजार में तपती गर्मी में भुन रहे हैं जबकि नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए चिट्ठीबाजी और प्रेस कांफ्रेंसों में ही उलझे हुए हैं। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव के मजदूरों के लिए 1000 बसें चलाने के प्रस्ताव को लेकर रार इस कदर बढ़ गयी कि अरसे से क्वैरेंटाइन में चल रहे उत्तर प्रदेश सरकार के तीन मंत्री मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस करने मैदान में उतरे। इससे पहले दो दिनों तक प्रियंका के प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डालने के बाद योगी सरकार ने सोमवार को बसें चलाने की अनुमति दी तो तमाम शर्तें भी लगा दी। पहले बसों की सूची मांगी, फिर ड्राइवर, कंडक्टरों के नाम और फिर बस सहित लखनऊ आकर लाइसेंस व फिटनेस सार्टिफिकेट जंचवाने का फरमान सुना दिया। और तो और कांग्रेस की ओर से बसों की सूची देने पर उनमें से करीब डेढ़ दर्जन को आटो, एंबुलेंस, स्कूल बस व ट्रैक्टर होने की जानकारी दी। आखिर तमाम बवाल के बाद मंगलवार दोपहर प्रदेश सरकार ने बसों के कागज जंचवाने के लिए नोयडा व गाजियाबाद जिला प्रशासन जाने को कहा।
दरअसल उत्तर प्रदेश आ रहे प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए प्रियंका गांधी ने 1000 बसें देने का प्रस्ताव दिया। प्रियंका गांधी का पत्र लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना शुक्ला मोना मुख्यमंत्री कार्यालय पहुंचे थे और न मिलने पर वहीं के स्टाफ को दिया था। प्रियंका गांधी के पत्र पर दो दिन चुप्पी साधे बैठी रही योगी सरकार ने सोमवार 18 मई को पत्र का संज्ञान लिया और प्रस्ताव को स्वीकारते हुए बसों की सूची मांगी। हालांकि प्रदेश सरकार के इस पत्र के मिलने के पहले ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एक प्रेस कांफ्रेंस कर बसों की सूची मीडिया के सामने पेश कर चुके थे। बहरहाल सोमवार देर शाम कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर बसों की सूची प्रदेश सरकार को सौंप दी। प्रियंका गांधी की ओर से तुरंत बसों की सूची सौंपने के बाद योगी सरकार ने  सोमवार देर रात एक चिट्ठी भेजकर उन बसों को लखनऊ लाकर फिटनेस सार्टिफिकेट और ड्राइविंग लाइसेंस दिखाने का फरमान दे दिया। जबकि प्रियंका गांधी की ओर से मजदूरों को लाने के लिए उपलब्ध करायी गयीं बसें नोयडा व गाजियाबाद सीमा पर खड़ी हैं। आनन फानन में बसों को लखनऊ लाकर चेक करवाने के प्रस्ताव पर प्रियका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह ने मंगलवार तड़के चिट्ठी का जवाब देते हुए कहा मजदूर यूपी की सीमा पर फंसे हैं और खाली बसों को लखनऊ बुलाया जा रहा है। उन्होंने इसे राजनीति करार देते हुए कहा कि नोडल अफसर तय कर बसों की चेकिंग वगैरा वहीं नोयडा-गाजियाबाद में करवा ली जाए और मजदूरों को लाने दिया जाए। पूरे प्रकरण में सबसे ज्यादा सवाल उत्तर प्रदेश सरकार के गृह विभाग पर उठ रहे हैं। पहले तो प्रियंका गांधी के प्रस्ताव को दो दिन तक दबाए क्यों रखा गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार सुबह एक निजी टीवी चैनल के साथ इंटरव्यू में प्रियंका के प्रस्ताव वाले सवाल पर कह दिया कि वो बसों की सूची मांग रहे हैं पर उन्हें उपलब्ध नही कराया जा रहा है। योगी के इस बयान पर तुरंत यूपी सरकार पर सवालों की की बरसात होने लगी। आननफानन में सोमवार दोपहर बाद गृह विभाग के मुखिया अवनीश अवस्थी ने प्रियंका की चिट्ठी का जवाब भिजवाया। हालांकि उससे पहले प्रदेश कांग्रेस प्रेस कांफ्रेंस कर बसों की सूची जारी कर चुकी थी। बसों की सूची मिलने के बाद आधी रात अवनीश अवस्थी ने प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह को ईमेल कर बसों को लखनऊ लाकर ड्राइविंग लाइसेंस व फिटनेस सार्टिफिकेट दिखाने को कह दिया। आधी रात फरमान भेज सुबह 10 बजे 1000 बसों को नोयडा-गाजियाबाद से लखनऊ लाकर ड्राइवंग लाइसेंस व फिटनेस सार्टिफिकेट दिखाने की योगी सरकार के अफसर अवनीश अवस्थी के फरमान से हर कोई हैरान हुआ। प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह ने आधी रात के इस पत्र का जवाब उसी रात दो बजे देते हुए कहा कि मजदूर यूपी की सीमाओं पर फंसे हैं और सरकार खाली बसों को लखनऊ बुला रही है। उन्होंने पत्र में लिखा कि प्रदेश सरकार नोडल अफसर तय कर सारी कारवाई वहीं नोयडा-गाजियाबाद में पूरी कर मजदूरों को बसों से भेज सकती है। उन्होंने कहा कि संकट में मजदूर फंसे हुए हैं और प्रदेश सरकार राजनीति से बाज नहीं आ रही है। हालांकि बाद में मंगलवार दोपहर प्रदेश सरकार ने कांग्रेस महासचिव के कार्यालय को पत्र भेजकर बसों की जांच नोयडा व गाजियाबाद में करवाने की इजाजत दे दी है। रार इतने पर ही नहीं थमी। बाद में कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राजस्थान की सीमा पर आगरा के नंगला ऊंचा में खड़ी उसको बसों को नोयडा व गाजियाबाद नहीं जाने दिया जा रहा है। बसों को ले जाने के लिए पहुंचे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को आगरा में पुलिस ने रोक भी लिया।
कांग्रेस कार्यकतार्ओं को स्वर्गीय राजीव गांधी  की तीसवीं पुण्यतिथि पर संदेश देते हुए कांग्रेस महासचिव  प्रियंका गांधी  वाड्रा ने  योगी सरकार का कोरोना महामारी से लड़ने के तरीके पर सवाल उठाए ।  प्रियंका के मुताबिक कांग्रेस पार्टी ने प्रवासी श्रमिकों के लिए बसों का इंतजाम किया तो योगी सरकार ने उप्र कांग्रेस के अध्यक्ष को फर्जी मुकदमे लगाकर जेल भेज दिया गया।  उनका आरोप है कि कोरोना आपदा काल में पूरा देश एकजुट होकर महामारी से लड़ रहा है मगर यूपी सरकार श्रमिकों के लिए बस, ट्रेन टिकट, खाने और राशन का इंतजाम करने वालों को जेल में डाल रही है। राजीव जी ने देश के लिए अपनी जान दी। वे हिंदुस्तान और इसके वासियों से बेइंतहा प्यार करते थे। गरीबों का दर्द उनसे देखा नहीं जाता था।
बकौल प्रियंका, हम सब उनकी सोच के वारिस हैं। हमने राजीव जी से सीखा है कमजोरों की मदद करना। हमें कोई नहीं डरा सकता। इसके पहले  यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा दो बार मीडिया के सामने आए और ने कहा  कि कांग्रेस फजीर्वाड़ा कर रही है । उन्होंने कांग्रेस द्वारा भेजी गई सूची की 830 बसों में 460 वाहन फर्जी और 297 कबाड़ हैं जिनकी कोई फिटनेस नहीं है । इसके अलावा 98 थ्री व्हीलर और एंबुलेंस हैं । उन्होंने सवाल किया कि आखिर
पंजाब -राजस्थान में प्रवासियों को बसे क्यों उपलब्ध नहीं करा रही कांग्रेस ।

(लेखक उत्तर प्रदेश पै्रस मान्यता स्मिित के अध्यक्ष हैं।) यह इनके निजी विचार हैं।