कहा, जो काम पिछले तीस वर्षों में नहीं हुआ वो आम आदमी पार्टी की सरकार ने तीन वर्ष में कर दिखाया

Ludhiana News (आज समाज), लुधियाना : राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा ने हलवारा हवाइर्ट अड्डे का दौरा करके वहां चल रहे कार्य का जायजा लिया। इस दौरान सांसद ने हवाई अड्डे के निर्माण प्रगति पर संतुष्टि व खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि हवाई अड्डे का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है और यह जल्द ही जनता को समर्पित कर दिया जाएगा। सांसद अरोड़ा ने कहा कि यह परियोजना लगभग तीस वर्षों से रुकी हुई थी और उन्होंने दुख जताया कि पिछली राज्य सरकारों के प्रतिनिधि इसे पूरा करने में विफल रहे। उन्होंने कहा कि राज्यसभा सांसद बनने के बाद उन्होंने तुरंत इस परियोजना को प्राथमिकता दी। आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के सहयोग से, यह परियोजना अब लगभग 60 करोड़ रुपये की लागत से 100% पूरी हो गई है।

पंजाब सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट है हलवारा हवाई अड्डा

इसे पंजाब के सीएम भगवंत सिंह मान का “ड्रीम प्रोजेक्ट” बताते हुए अरोड़ा ने बताया कि शुरूआती डिजाइन के अनुसार, हवाई अड्डे के चारों ओर कांटेदार तार की बाड़ लगाई गई थी। हालांकि, इस साल मार्च में एएआई के निरीक्षण के दौरान कंटीले तारों की जगह कंक्रीट की चारदीवारी लगाने का फैसला किया गया था। उन्होंने बताया कि एएआई की टीम ने कुछ अन्य सुझाव भी दिए, जिन पर फिलहाल अमल किया जा रहा है और जल्द ही पूरा होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि एएआई का अगला निरीक्षण दौरा 30 अप्रैल को होना है।

लोक निर्माण विभाग द्वारा एयरपोर्ट को एएआई को सौंपे जाने के बाद स्टाफ की तैनाती की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। शुरूआत में एएआई दो उड़ानें संचालित करने की योजना बना रहा है- एक सुबह और एक दोपहर। ये उड़ानें लुधियाना को दिल्ली के रास्ते यूरोप के साथ-साथ अमेरिका, कनाडा और आॅस्ट्रेलिया जैसे देशों से जोड़ेंगी।

मालवा बेल्ट विशेषकर लुधियाना के व्यापारियों को होगा फायदा

अरोड़ा ने जोर देकर कहा कि यह कनेक्टिविटी पूरे पंजाब क्षेत्र, खासकर मालवा बेल्ट और लुधियाना की अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण बढ़ावा देगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले दो से तीन महीनों में उड़ान संचालन शुरू हो जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि एयरपोर्ट को एचडब्ल्यूआर कोड आवंटित किया गया है। एयरपोर्ट के नामकरण के बारे में उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार केवल नाम की सिफारिश कर सकती है, जबकि अंतिम मंजूरी केंद्र के पास है।

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