नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
जिला महेंद्रगढ़ के शहर नारनौल में टोक्यो (जापान) की साहित्यकार डॉ. रमा पूर्णिमा शर्मा और मास्को (रूस) की साहित्यकार श्वेता सिंह सोमवार को अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र मनुमुक्त भवन पहुंची। इस पर मनुमुक्त ‘मानव’ मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा उनको अंगवस्त्र, साहित्य, स्मृति-चिह्न और सम्मान-पत्र भेंट कर ‘विश्व हिंदी-सेवी सम्मान’ से नवाजा गया।
जापानी छात्रों का बढ़ा हिंदी के प्रति झुकाव
सम्मान के उपरांत दोनों ने कहा कि जापान और रूस में भारतीय संस्कृति के साथ हिंदी भाषा और साहित्य को भी बड़े सम्मान के साथ देखा जाता है। ‘हिंदी की गूंज’ पत्रिका की संपादक तथा हिंदी कल्चरल सोसायटी, टोक्यो (जापान) की अध्यक्ष डॉ. रमा शर्मा ने कहा कि जापानी छात्रों में हिंदी के प्रति रुझान बढ़ रहा है तथा वहां के अनेक विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ने-पढ़ाने के साथ शोध भी करवाया जा रहा है।
वेता सिंह ने कहा कि रूसी भारतीय फिल्मों के तो दीवाने हैं ही, हिंदी भाषा और साहित्य के प्रति भी उनके मन में गहरा सम्मान है। प्रवासी भारतीयों को भारत का सांस्कृतिक दूत बताते हुए चीफ ट्रस्टी डॉ. रामनिवास मानव ने कहा कि भारतीय साहित्य और संस्कृति के प्रचार-प्रसार में इनका महत्त्वपूर्ण योगदान है। सिंघानिया विश्वविद्यालय, पचेरी बड़ी (राजस्थान) के कुलपति डॉ. उमाशंकर यादव ने दोनों महिला साहित्यकारों के हिंदी भाषा और साहित्य के प्रति समर्पण की प्रशंसा करते हुए उन्हें बधाई दी।
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