आज समाज, नई दिल्ली: Women Day 2025: भारत में प्राचीन काल से ही देवी दुर्गा, लक्ष्मी जी और मां सरस्वती की पूजा की जाती रही है और आज के बदलते दौर में महिलाएं शक्ति का केंद्र हैं, जिनकी बदौलत समाज चल रहा है। अब महिलाएं सिर्फ खाना बनाने और बर्तन धोने तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं। फिर चाहे राजनीति की बिसात हो, खेल का मैदान हो, विज्ञान हो या कला।
महिलाओं ने हर जगह अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। खेल जगत में कई महिला खिलाड़ी ऐसी रही हैं, जिन्होंने युवा खिलाड़ियों को खेलों से जोड़ा और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। इनमें मिताली राज, पीटी उषा, मैरी कॉम, साइना नेहवाल जैसी स्टार खिलाड़ी शामिल हैं।
देश-दुनिया में सफलता का परचम लहराया
इन खिलाड़ियों ने देश-दुनिया में हर जगह अपनी सफलता का परचम लहराया है। इन महिला खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा से दुनिया को हैरान किया है। आज 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आइए जानते हैं इन खिलाड़ियों की कहानी के बारे में।
1. मिताली राज
मिताली राज का जन्म 1982 में राजस्थान के जोधपुर में हुआ था। बचपन से ही उन्हें क्रिकेट का बहुत शौक था। मैदान पर रन बनाने की उनकी बेजोड़ क्षमता ने उन्हें महान खिलाड़ियों की श्रेणी में ला खड़ा किया है। वह एकमात्र भारतीय कप्तान हैं, जिन्होंने दो वनडे विश्व कप के फाइनल में टीम की कप्तानी की है।
उन्होंने महिला क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 232 वनडे मैचों में 7805 रन बनाए, जिसमें उन्होंने 7 शतक और 64 अर्धशतक लगाए। इसके अलावा उन्होंने टी20 इंटरनेशनल में 2364 रन और 12 टेस्ट मैचों में कुल 699 रन बनाए। वह आज की सुपरस्टार हरमनप्रीत कौर, स्मृति मंधाना जैसी खिलाड़ियों के लिए रोल मॉडल हैं।
2. साइना नेहवाल
आज भारत में बैडमिंटन खिलाड़ियों की पूरी फौज है। लेकिन हरियाणा के हिसार की रहने वाली साइना नेहवाल ने जब बैडमिंटन की दुनिया में कदम रखा, तब भारत इस खेल में महाशक्ति नहीं था। उस समय बैडमिंटन में चीन का दबदबा था और उन्होंने चीन की महान दीवार को तोड़कर बैडमिंटन कोर्ट पर चीनी खिलाड़ियों को हराना शुरू कर दिया था। उन्होंने लंदन ओलंपिक 2012 में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया।
वह बैडमिंटन में ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं। इसके अलावा उन्होंने बैडमिंटन रैंकिंग में भी पहला स्थान हासिल किया। उन्होंने भारत में बैडमिंटन की नींव रखी, जिस पर बाद में पीवी सिंधु ने महल खड़ा किया। नेहवाल ने विश्व चैंपियनशिप में भी दो पदक जीते। इसके अलावा कॉमनवेल्थ गेम्स में उनके नाम तीन स्वर्ण पदक हैं।
3. पीटी उषा
केरल के कोझिकोड में जन्मी पीटी उषा ने उस समय ट्रैक एंड फील्ड में नाम कमाया जब लड़कियों के लिए खेल की बहुत ज़्यादा सुविधाएँ नहीं थीं। वह एक बेहतरीन धावक रही हैं और आज उन्होंने लाखों लड़कियों को प्रेरित किया है और उन्हें खेल के मैदान की ओर आकर्षित किया है।
उन्होंने अपने करियर में कई बड़ी उपलब्धियाँ हासिल की हैं। लेकिन जिस एक चीज़ के लिए उन्हें सबसे ज़्यादा याद किया जाता है, वह है जीत न पाना। लॉस एंजिल्स 1984 ओलंपिक में वह 400 मीटर बाधा दौड़ में चौथे स्थान पर रहीं और 1/100 सेकंड से कांस्य पदक से चूक गईं। उन्होंने भले ही पदक न जीता हो, लेकिन वहाँ पहुँचना आसान काम नहीं था। वह उड़न परी के नाम से मशहूर हैं। वर्तमान में वह भारतीय ओलंपिक संघ की प्रमुख हैं और राज्यसभा सदस्य भी हैं।
4. मैरी कॉम
मैरी कॉम ने बॉक्सिंग रिंग में इतनी ज़ोरदार मुक्के मारे कि उनके विरोधी धराशायी हो गए। ओलंपिक हो या विश्व चैंपियनशिप, वह हर बार विजयी हुईं। उन्होंने पूरी दुनिया में तिरंगा फहराया और अपनी काबिलियत के दम पर सफलता हासिल की।
मैरी कॉम ने बॉक्सिंग में वह नींव रखी, जिसने लवलीना बोरगोहेन जैसी खिलाड़ियों को बॉक्सिंग में आने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप में कुल 8 मेडल जीते। इसके अलावा एशियाई खेलों और कॉमनवेल्थ गेम्स में उनके नाम एक-एक मेडल है। उन्होंने लंदन ओलंपिक 2012 में कांस्य पदक जीता और बॉक्सिंग में ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं।
5. कर्णम मल्लेश्वरी
कर्णम मल्लेश्वरी ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं। उन्होंने सिडनी ओलंपिक 2000 में भारोत्तोलन में कांस्य पदक जीता था। ओलंपिक पदक जीतकर उन्होंने भारत की सभी महिलाओं के लिए खेलों के दरवाजे खोल दिए। आंध्र प्रदेश की रहने वाली मल्लेश्वरी ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में दो स्वर्ण पदक भी जीते। बाद में खेलों में उनकी उपलब्धियों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें खेल रत्न और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया।
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