महिलाएं विनाश को पलट सकती हैं

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mahilaye
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माता अमृतानंदमयी देवी
हम काफी समय से यह सुनते आ रहे हैं कि महिलाएं कमजोर होती हैं। इसके बावजूद हर युग में साहसी महिलाओं का अस्तित्व रहा है जो क्रांति की शुरूआत करने के लिए पुरुष समाज द्वारा बनाए गए पिंजरों को तोड़कर बाहर आई हैं। भारत में ही कई साहसी महिलाएं रह चुकी हैं जैसे कि, रानी पद्मावती, हाथी रानी, मीराबाई और झांसी की रानी। इनमें से कोई भी महिला कमजोर नहीं थी। ये सभी वीरता, शौर्यता और पवित्रता की अवतार थीं। इनके समान ही कई नारियों का अस्तित्व दूसरे देशों में भी रहा है। उदाहरण के तौर पर फ्लोरेंस नाईटिंगल, जॉन आॅफ आर्क और हेरिएट टबमेन का नाम लिया जा सकता है। वास्तव में पुरुष को खुद को ना तो रक्षक और ना ही सजा देने वाली की स्थिति में रखना चाहिए। उनका साथ औरतों के प्रति तत्परता और ग्रहणशीलता का होना चाहिए जिससे महिलाओं को समाज की मुख्यधारा में अगुआ की भूमिका मिल सके। कई लोग पूछते हैं, ह्लइस बात के लिए पुरुषों में अहंकार कैसे आया?ह्व वेदांत के अनुसार इसका मुख्य कारण माया हो सकती है लेकिन केवल आधारभूत स्तर पर। इसका कोई दूसरा स्रोत भी हो सकता है। प्राचीन समय में मानव जाति जंगलों में, गुफाओं में या पेड़ पर घर बनाकर रहते थे। चूंकि पुरुष शारीरिक रूप से महिलाओं से अधिक बलवान थे, इसलिए शिकार और जंगली जानवरों से परिवार को बचाने की जिम्मेदारी उनकी होती थी। महिलाएं मुख्य रूप से घर पर रहकर बच्चों की देखभाल और घर के काम-काज करती थीं। पुरुष घर पर भोजन और पहनने के लिए जानवर की खाल लाते थे। इस अनुसार उन्होंने खुद ही यह विचारधारा विकसित कर ली कि जीविका के लिए औरतें उनपर निर्भर हैं और वे मालिक और औरतें नौकर हैं। इस तरह से औरतों ने भी पुरुषों को अपने रक्षक की तरह देखना शुरू कर दिया। शायद इसी तरह इस अहंकार का विकास हुआ होगा।
औरतें कमजोर नहीं हैं और उन्हें कमजोर मानना भी नहीं चाहिए। लेकिन उनके स्वाभाविक करुणा और सहानुभूति की अक्सर गलत तरीके से व्याख्या की जाती है और इसे उनकी कमजोरी समझा जाता है। अगर औरतें अपने भीतर की ताकत को समेट ले तो वो एक पुरुष से भी ज्यादा है। पुरुष समाज को ईमानदारी से उनकी इस अव्यक्त शक्ति को समझने में और महसूस करने में मदद करनी चाहिए। अगर हम अपनी आंतरिक शक्ति को अपने पक्ष में कर लें तो यह संसार स्वर्ग बन सकता है। युद्ध, संघर्ष और आतंकवाद समाप्त हो जाएगा। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि प्यार और करुणा जीवन का एक अभिन्न अंग बन जाएगा। एक बार एक अफ्रीकन देश में युद्ध की घटना हुई। इस युद्ध में अनगिनत पुरुष मारे गये। औरतों की आबादी 70 प्रतिशत की हो गई लेकिन इस नुकसान से उन्होंने अपनी हिम्मत नहीं खोई। वो मिलकर एक हो गईं।
व्यक्तिगत स्तर पर और समूह में उन्होंने छोटा-छोटा व्यापार करना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने बच्चों और अनाथ बच्चों दोनों का पालन-पोषण करना शुरू कर दिया। जल्द ही उन्होंने खुद की स्थिति को शसक्त और बेहतर पाया। यह प्रमाणित करता है कि महिलाएं विनाश को पलट सकती हैं और गंभीरता के साथ विचार कर एक शक्ति बन सकती है। इस तरह की घटना के कारण ही लोग यह निष्कर्ष निकालते हैं, ह्लअगर औरतें शासन करती हैं तो कई लड़ाईयों और दंगों को टाला जा सकता है। एक औरत सावधानी के साथ सोच-विचारकर ही किसी को मरने के लिए किसी को युद्ध में भेजेगी।
और ऐसे में केवल एक औरत ही दूसरी औरत के औलाद के मरने का दुख समझ सकती है।ह्व अगर औरतें एकजुट हों जाएं तो एक साथ मिलकर वो कई आश्चर्यजनक बदलाव इस समाज में ला सकती हैं। लेकिन पुरुषों को भी उन्हें एक साथ लाने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। समाज को बचाने के लिए औरतों और पुरुषों को अपना हाथ मिलाना होगा। केवल तभी आने वाली पीढ़ी एक बड़ी आपदा से बच पायेगी। अगर वो हाथ मिलाते हैं तो इससे समाज और दुनिया की तरक्की होगी। हम सबों को इस लक्ष्य को पाने के लिए काम करना चाहिए।