संजीव कुमार, रोहतक :
द्रोणाचार्य राजकीय महाविद्यालय के समाज शास्त्र विभाग तथा आंतरिक मूल्यांकन प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित की जा रही तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी वूमैन इन ग्लोबलाइज्ड वर्ल्ड में देश और विदेशों के 700 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं तथा इसमें देश व विदेश के 700 विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों की सक्रिय भागीदारी है। यह जानकारी देते हुए संगोष्ठी के संयोजक प्रो. भूप सिंह गौड़ ने बताया किकार्यक्रम के संरक्षक और प्राचार्य डा. वीरेन्द्र अंतिल ने कहा कि महिलाओं को उन्नत करने से देश तथा समाज बढ़ेगा।
संगोष्ठी में जामिया विश्वविद्यालय की प्रथम महिला उपकुलपति प्रो. नजमा अख्तर ने कहा कि लैंगिक समानता एक बुनियादी मानव अधिकार है। इसमें शिक्षा की अहम भूमिका है। शिक्षित महिलाएं न केवल परिवार तथा समाज में समानता लायेंगी बल्कि देश को विश्व गुरू बनाने में अहम भूमिका निभायेगी। महिला सशक्तिकरण ही महिला नेतृत्व का अगला कदम होगा।
रोहतक के बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय की पूर्व प्रो. वाइस चासंलर डा. अंजू आहूजा ने स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से लिंग तथा वैश्वीकरण की बहस को निराधार बताया तथा कहा कि महिलाओं को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा। महिलाओं को स्वस्थ बनाये रखना स्वस्थ समाज तथा देश के लिए अहम शर्तें हैं। मुख्य वक्तव्य के रूप में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की प्रो. मैत्रयी चौधरी ने कहा कि मीडिया में जेंडर के प्रदर्शन का समाज शास्त्री ने बताया कि हमें मीडिया के द्वारा नारी की उत्पादीय छवि को तथा वास्तविक छवि को समझना होगा। मीडिया का आर्थिक पक्ष जानना आवश्यक है। लैंगिक समानता लाने में मीडिया की भूमिका अहम है। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय की प्रो. मधु नागला ने नारीवाद के विभिन्न परिप्रेक्ष्यों को भारतीय संदर्भ में बताया तथा नई अनुसंधान तकनीकों पर आधारित शोध नीति निर्माण में सहायक होगा। डा. पुष्पा अंतिल ने साहित्य में नारी पर विचार व्यक्त करते हुये कहा कि सशक्तिकरण की अवधारणा नई नहीं है बल्कि भारत के इतिहास में अनेकों ऐसे उदाहरण हैं। महिलाओं की शौर्य गाथायें प्रेरित करती रही हैं। प्रो. अरविंदर अंसारी ने कहा कि पुरूषों तथा महिलाओं के बीच असमान शक्ति सम्बन्ध है जो महिलायें अपने जीवन पर नियंत्रण रखकर समाज में बदलाव करना होगा।
संगोष्ठी में अमरीका से प्रो. लाखन, थाइलैंड से प्रो. नतावत केन्या से डा. वेन्सन, मलेशिया से डा. इस्लाईम जैन, नेपाल से डा. राम हरि, डा. विनेश, डा. अरविंद गुप्ता, मैक्सिको से डा. मरियाना ग्रेट, कनाडा से डा. मनप्रीत गिल आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर समाजशास्त्र विभाग की सचिव रेणू ने धन्यवाद किया। डा. सुभाष, डा. सुनीता, आशा, राजेन्द्र सिंह, नताशा जून, ज्योति सिंह, डा. सुशील आदि का संगोष्ठी में अहम योगदान रहा।
Sign in
Welcome! Log into your account
Forgot your password? Get help
Password recovery
Recover your password
A password will be e-mailed to you.