नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
- हकेवि में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार की हुई शुरूआत
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में मंगलवार को धारा 370 के पहले व उसके खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख में आए विभिन्न सामाजिक, राजनैतिक बदलावों पर केंद्रित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार की शुरूआत हुई। विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित इस राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के ट्रस्टी व हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. के.सी. अग्निहोत्री उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने की।
सांस्कृतिक विकास पर विस्तार से प्रकाश डाला
कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्जवलन व विश्वविद्यालय के कुलगीत के साथ हुई। इसके पश्चात विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. रमेश कुमार ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए विभाग के सहआचार्य डॉ. शांतेश कुमार ने विषय की रूपरेखा प्रस्तुत की और बताया कि अंडरस्टेंडिंग जम्मू, कश्मीर एंड लद्दाखः आर्टिकल 370 एंड आफ्टर विषय निर्धारित करने के पीछे का उद्देश्य मुख्य रूप से इस परिवर्तन से आए बदलावों का मूल्यांकन करना है। उन्होंने कहा कि अवश्य ही इस आयोजन में सम्मिलित विशेषज्ञों व शोधार्थियो के माध्यम से सेमिनार के उद्देश्य को प्राप्त किया जाएगा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रो. के.सी. अग्निहोत्री ने अपने संबोधन में विभिन्न विषयों को लेकर बनने वाले दृष्टिकोण के निर्धारण में शब्दावली के उपयोग को महत्त्वपूर्ण बताया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में इसके भौगोलिक महत्त्व के साथ-साथ सांस्कृतिक विकास पर भी विस्तार से प्रकाश डाला और भारत के संदर्भ मे क्षेत्र विशेष की महत्ता को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख से लगे गिलगित, बाल्टिस्तान क्षेत्र के माध्यम से भारत के लिए मध्य एशिया का रास्ता खुलता है और यहां बनी परिस्थितियां भारत के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
प्रो. अग्निहोत्री ने महाराजा रणजीत सिंह, हरि सिंह के योगदान का उल्लेख करने के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय और उस प्रक्रिया में जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, महात्मा गांधी से लेकर लॉर्ड माऊंट बेटन, शेख अब्बदुल्ला तक की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने प्रमाणों के आधार पर उस समय की परिस्थितियों और उसके चलते जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के लागू होने और उससे मूल निवासियों को हुए नुकसान का उल्लेख करते हुए मौजूदा परिस्थितियों में इसके हटने से आए बदलावों का उल्लेख किया।
प्रो. अग्निहोत्री ने विद्यार्थियो के सवालों के जवाब दिए
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि इस विषय में प्रो. अग्निहोत्री का उद्बोधन अवश्य ही विद्यार्थियों व शोधार्थियों को विचार-विमर्श के नए अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने इस दो दिवसीय आयोजन में होने वाले मंथन को धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में बदली परिस्थितियों के मूल्यांकन में मददगार बताया और कहा कि अवश्य ही इस विषय में शोध कर रहे विद्यार्थियों को इस आयोजन से लाभ मिलेगा। कार्यक्रम के अंतिम चरण में सवाल-जवाब सत्र का भी आयोजन किया गया। इस सत्र का संचालन सेमिनार के संयोजक डॉ. राजीव कुमार सिंह ने किया। जिसमें प्रो. अग्निहोत्री ने विद्यार्थियो के सवालों के जवाब दिए। उद्घाटन सत्र के अंत में विभाग की सहायक आचार्य सुश्री श्वेता सोहल ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रो. मनीष कुमार सहित विश्वविद्यालय में प्रो. बी.पी. सिंह, प्रो. नंद किशोर, प्रो. रणबीर सिंह सहित भारी संख्या में विद्यार्थी, शोधार्थी व शिक्षक उपस्थित रहे। उद्घाटन सत्र के पश्चात तकनीकी सत्रों का आयोजन हुआ। जिनमें विभिन्न विभागों के विद्यार्थियों व शोधार्थियों ने हिस्सा लिया।
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