आज समाज डिजिटल, पानीपत:
समालखा (पानीपत) : पानीपत इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नॉलोजी (पाईट) कॉलेज में तीन दिवसीय टॉयकाथोन संपन्न हो गया। देश के अलग-अलग राज्यों से आईं 45 टीमों के 200 से ज्यादा बच्चों ने 36 घंटे लगातार दिन रात पाईट की आइडिया लैब में खिलौने बनाए। इनमें से सात टीमों को 25-25 हजार रुपये का नकद पुरस्कार और किट देकर सम्मानित किया गया। एआइसीटीई से सलाहकार डॉ.नीरज सक्सेना मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे। पुरस्कार वितरण समारोह का डॉ.नीरज सक्सेना, कॉलेज के चेयरमैन हरिओम तायल, वाइस चेयरमैन राकेश तायल, सचिव सुरेश तायल, मेंबर बीओजी शुभम तायल, डीन डॉ.बीबी शर्मा, डॉ.प्रदयूत कोले, सदासिबा ने दीप प्रज्वलन कर शुभारंभ किया।
पाईट कॉलेज में टॉयकाथोन संपन्न, एआइसीटीई के एडवाइजर ने किया सम्मानित
डॉ.नीरज सक्सेना ने कहा कि हमें हमेशा सीखते रहना चाहिए। शिक्षकों को क्लास में ही बच्चों की प्रतिभा को पहचान लेना चाहिए। गुरु द्रोणाचार्य ने अपने शिष्यों की प्रतिभा को पहचाना और उसी अनुसार शिक्षा दी। इसी वजह से धनुष में अर्जुन, गदा में भीम जैसे योद्धा बने। हमारी नई शिक्षा नीति इस तरह की है कि बच्चा जो करना चाहे, उसी दिशा में जा सकता है। आइडिया लैब भी इसी लक्ष्य के तहत बनी हैं। यहां पर आसपास के स्कूलों के बच्चे अपने आइडिया पर काम कर सकते हैं। टॉयकाथोन में बच्चों ने दिखा दिया है कि वे कितने ज्यादा कल्पनाशील हैं। हमारी खिलौना इंडस्ट्री को आगे बढ़ा सकते हैं। जो नहीं जीते हैं, उन्होंने अनुभव हासिल किए हैं। वाइस चेयरमैन राकेश तायल ने कहा कि हम अपने बच्चों को खिलौने देने के लिए चीन पर निर्भर हो गए हैं, जबकि दुनिया को लूडो और चेस जैसे खेल हमने ही दिए। टॉयकाथोन के माध्यम से हम दोबारा से खिलौना इंडस्ट्री में आगे निकलना चाहते हैं। संस्कृति और नई तकनीक के जोड़ से ही यह संभव हो सकेगा। कॉलेज के सचिव एवं निर्यातक सुरेश तायल ने कुछ खिलौनों पर काम करने के लिए अपनी सहमति दी। जयती महाजन ने मंच संचालन किया। डॉ.देवेंद्र प्रसाद, आइडिया लैब की कोर्डिनेटर डॉ.अंजू गांधी, सुनील ढुल, अमित दुबे, रोहित शर्मा, राजन सलूजा, शक्ति अरोड़ा, हरविंदर कौर का विशेष सहयोग रहा।
इनको मिला पुरस्कार
- स्मार्ट सर्किट इनोवेशन – वेस्ट मैटेरियल से इसे बनाया गया। ऐसे डिवाइस जो रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोग होते हैं, इनका कॉन्सेप्ट क्या है, ये समझाया जाता है। पचास रुपये में एक डिवाइस बन जाता है। जैसे पेरीस्कोप, जिससे बच्चा सामने का व्यू देख सकता है।
- प्लेनेट जूलो – लकड़ी के छोटे-छोटे खिलौने बनाए गए हैं। इन खिलौनों को तोड़कर नए तरीके से नए खिलौने बनाए जा सकते हैं। मैग्नेट से इन्हें बनाया गया। घोड़ा, हाथी, बत्तख जैसे खिलौने बन सकते हैं।
- ट्रीगोनिक – क्यूब गेम बनाई है। ट्रिग्नोमेट्री को सॉल्व किया जा सकता है। खेलते-खेलते गणित को सीखा जा सकता है। कीमत भी दो सौ रुपये से कम है।
- पेंटा – लकड़ी का पैनल बनाया गया है। थ्रीडी बटन बनाए गए हैं। इसके माध्यम से कोई भी आकार बनाया जा सकता है। बच्चा इससे स्क्वेयर, सर्कल, नंबर सीख सकते हैं। दो साल की उम्र का बच्चा इसका उपयोग कर सकता है।
- थंडर – आइआइटी रोपड़ की टीम ने रिजनिंग को सिखाने के लिए चार्ट बनाए। रामायण-महाभारत के किरदारों के माध्यम से बताया गया कि किसका किससे क्या रिश्ता है।
- एन ब्रेल – दिव्यांगों के लिए यह प्रोजेक्ट बनाया गया। बोल, सुन नहीं सकने वाले और नेत्रहीन इसका उपयोग कर सकते हैं। उनके लिए ऐसा खिलौना बनाया, जिसमें वे बटन को छूकर अपनी बात बता सकते हैं। जैसे किसी को बोलना है पानी तो वो पीएएनआइ का बटन दबाएंगे तो पानी की आवाज आ जाएगी।
- टीम सेवियर -नेत्रहीन भी लुका-छिपी खेल का आनंद ले सकते हैं। सेंसर गले में डाल दिया जाता है। आमने-सामने आने पर सेंसर से पता चल जाता है कि कौन पकड़ा गया।
अब आगे क्या
टॉयकाथोन में विजेता बच्चों के खिलौनों को टॉय लीग में शामिल किया जाएगा। जिनका खिलौना चयन नहीं किया गया, वे भी दोबारा प्रयास कर सकते हैं। खिलौना बनाने वाले कंपनियों के सामने इनकी प्रजेंटेशन होगी। वहां चयन हो गया तो उसकी एक पूरी यूनिट लगाई जाएगी।