विधानसभा में जीरो आवर की नई रवायत आखिर क्यों नहीं आ रही रास

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-जीरो आवर में समयावधि को लेकर हुए कई बार आमने-सामने हुए स्पीकर और विपक्षी विधायक
डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़:

हरियाणा विधानसभा का मानसून सत्र जारी है और ऐसा पहली बार हुआ कि जब आधिकारिक रूप से घोषणा करते हुए जीरो ओवर (शून्य काल) शुरू किया गया। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, इसके लिए एक घंटे की अवधि निर्धारित की गई। ये बताना बेहद अहम है कि हरियाणा विधानसभा की रूल बुक में नियमावली में तकनीकी रूप से इंटरप्ट आवर कहा गया है और लोकसभा के नियमों में इसको जीरो आवर कहा गया है। हालांकि इससे पहले जीरो आवर की परंपरा नहीं थी। पहले प्रश्नकाल खत्म होने के बाद विधायक अपनी बात रखने या किसी मुद्दे पर बातचीत के लिए उठ जाते थे, लेकिन उसको जीरो आवर नहीं माना जाता था, हालांकि विधायक अपनी बात रखते थे। उस दौरान विधायकों द्वारा की गई बातचीत को रिकॉर्ड में नहीं रखा जाता था, लेकिन अब आधिकारिक रूप से जीरो आवर को अमलीजामा पहनाया गया है तो यहां प्रश्न ये भी है कि इसके मायने क्या हैं और इस रवायत का फायदा क्या है। लेकिन इसके शुरू होने के बाद ही तुरंत स्पीकर को बार-बार कहना पड़ा कि अगर विपक्ष जीरो आवर नहीं चाहता तो इसको बंद कर देंगे। बता दें कि गत 20 अगस्त, 2021 को बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीएएसी) की बैठक में जीरो आवर को शुरू करने का निर्णय लिया गया था। वहीं ये भी बता दें कि जिस प्रकार जीरो आवर के दौरान बार-बार स्पीकर और विपक्षी विधायकों में बहस हुई तो ये बात भी बार-बार उठी कि क्यों न फिर इस नई रवायत को बंद कर दिया जाए और ऐसा करने पर विचार किया जाएगा।
विपक्ष की मांग-लोकसभा-राज्यसभा की तर्ज पर हो जीरो आवर
मानसून सत्र में लगातार तीन दिन जीरो आवर में सभी पार्टियों ने अपनी बात रखी। लेकिन मुख्य पेंच इस बात को लेकर उलझा है कि विपक्ष के अनुसार जीरो आवर की समय-सीमा निर्धारित नहीं हो। इसको लोकसभा और राज्यसभा की तर्ज पर कंडक्ट किया जाना चाहिए। बोलने वाले विधायकों के लिए बोलने की समय सीमा को न बांधा जाए और उसको जब तक वो चाहें बोलने देना चाहिए। इसी को लेकर स्पीकर बार-बार कह रहे हैं कि ऐसा नहीं हो सकता।
समय सिमित नहीं किया तो नए विधायकों को कैसे मिलेगा मौका
स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता निरंतर समय-सीमा को ओपन करने का विरोध ये कहते हुए कर रहे हैं कि जब एक ही विधायक लंबे समय तक बोलेगा तो अन्य विधायकों को बोलने का समय कैसे मिलेगा। पुराने व अनुभव विधायक तो निरंतर बोलते रहते हैं और विधानसभा में आए नवांगतुक विधायकों को बोलने का मौका नहीं मिलेगा। उन्होंने बार-बार हवाला दिया कि नए विधायकों को भी बोलने का मौका दिया जाना और उनको भी एक्सपोजर चाहिए। यह सवाल उठना भी लाजिमी है, क्योंकि पुराने विधायक जो कई-कई बार चुनकर आ चुके हैं, आम तौर पर ज्यादातर समय वो ही बोलते हैं, चाहे वो किसी पार्टी के क्यों न हों।
तारीफ तो सबने की, लेकिन वास्तविक स्वीकार्यता कितनी है नई रवायत की
स्पीकर द्वारा शुरू की गई इस नई रवायत की ज्यादातर विधायकों ने तारीफ की। कांग्रेस और भाजपा समेत निर्दलीय विधायकों ने आधिकारिक रूप से जीरो आवर शुरू करने की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुआ कहा कि सभी विधायकों को अपने-अपने इलाके की समस्याओं और आम जन की बात रखने का मौका मिलेगा। डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की मां और विधायक नैना चौटाला ने भी स्पीकर को इस नई रवायत को शुरू करने के लिए शुक्रिया अदा किया। लेकिन जिस तरह से समय सीमा को लेकर रस्सा कस्सी शुरू हो गई है तो जीरो आवर की स्वीकार्यता पर सवाल उठे।
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विपक्ष बोला-जीरो आवर धन्यवाद के लिए नहीं, बल्कि मुद्दा उठाने के लिए हो
24 अगस्त, 2021 को जीरो आवर के दौरान एक बार फिर सियासत उफान पर थी। नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंहे हुड्डा ने कहा कि जीरो आवर के दौरान भाजपा के विधायक ज्यादातर समय धन्यवाद प्रस्ताव में लगाते हैं। ऐसे में यहां सवाल ये है कि जीरो आवर में सब विधायकों को जनता के मुद्दे उठाने चाहिएं, वो ऐसा नहीं करके अपनी सरकार की तारीफ में ही ये समय लगा देते हैं। इस लिहाज से जीरो आवर के कोई मायने नहीं हैं।
जीरो आवर में विपक्ष रहता है सरकार पर हमलावर
जीरो आवर में अब तक ये सामने आया है कि विपक्ष के विधायक जीरो आवर के दौरान निरंतर सरकार पर हमलावर रहते हैं और इस दौरान वो सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते। वहां सत्ताधारी विधायक सरकार के बचाव में बोलते हैं और विपक्ष के हमले को कमजोर करने की जुगत में होते हैं। इस दौरान अब तक जीरो ओवर में खींचतान देखने को मिली, लेकिन इससे परे मुख्य बात ये है कि विधायक चाहे किसी भी पार्टी का हो, उनको जरूरत है कि वो अपने विधानसभा क्षेत्र और वहां के लोगों की समस्या बताएं, ताकि उनका समय पर निपटान हो सके।
फिलहाल एक विधायक को 3 मिनट, विपक्ष ने की समय बढ़ाने की मांग
फिलहाल जीरो आवर में विधायकों को अधिकतम 3 मिनट तक मिलने का समय दिया जाता है। इस लिहाज एक घंटे के जीरो आवर में 15 से 20 विधायक बोल पाते हैं तो कई विधायक ज्यादा बोल जाते हैं और फिर इसका असर अन्य के समय पर भी पड़ता है। हुड्डा ने इसको लेकर सवाल खड़े करते हुए कहा कि 3 मिनट की अवधि बेहद कम है और इसको बढ़ाकर 10 मिनट तक किया जाना चाहिए। मामले पर कांग्रेस के रघबीर सिंह कादयान और जजपा के राम कुमार गौतम ने भी समय-सीमा बढ़ाने की मांग की।