कोरोना का डेल्टा वैरिएंट ज्यादा संक्रामक और घातक क्यों है

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रिसर्च में हुआ खुलासा

कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट सबसे खतरनाक वैरिएंट क्यों है? इससे जुड़ी अहम रिसर्च सामने आई है। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के वैज्ञानिकों ने इस रहस्य से पर्दा उठा दिया है। आपको बता दें कि दुनियाभर के वैज्ञानिकों के सामने पिछले काफी समय से ये सवाल बना हुआ था कि डेल्टा वैरिएंट क्यों और कैसे अधिक खतरनाक है? वैज्ञानिकों का दावा है कि डेल्टा वैरिएंट के अधिक खतरनाक होने की वजह पी-681 आर म्यूटेशन है। जानकारी के मुताबिक ये व्यक्ति के श्वासन तंत्र के एपिथिलियल सेल्स में अल्फा वैरिएंट की तुलना में तेजी से फैलता है। रिसर्च में दावा किया गया है कि जब पी-681 आर म्यूटेशन को हटाया तो देखा कि इंफेक्शन की दर लगभग खत्म हो चुकी है, ऐसे में डेल्टा के अधिक संक्रामक होने की ये मुख्य वजह हो सकती है।

300 गुना अधिक होता है वायरल लोड

वैज्ञानिकों ने डेल्टा वैरिएंट को लेकर दावा किया है कि इसकी चपेट में आने वाले लोगों में वायरल लोड 300 गुना अधिक होता है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि ये वैरिएंट 300 गुना अधिक संक्रामक है। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास मेडिकल ब्रांच के वायरोलॉजिस्ट प्रो. पी योंग शी  का कहना है कि शोध में उन्हें वायरस के इस रूप में अमिनो एडिस म्यूटेशन का पता चला है जो कि इसके अधिक संक्रामक और घातक होने की मुख्य वजह हो सकता है। प्रो. पी योंग शी का दावा है कि वायरस जब कोशिकाओं में प्रवेश करता है तो उसका स्पाइक प्रोटीन कोशिकाओं के प्रोटीन को दो बार काटता है। उन्होंने बताया कि वायरस का फ्यूरिन क्लीवेज साइट सबसे पहले कट लगाता है। इसके बाद संक्रमित कोशिकाओं से बने नए वायरल कण तेजी के साथ मुख्य कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं जो कुछ समय के भीतर ही घातक रूप ले लेता है।

प्लाज्मा मेंब्रेन को करता है फ्यूज

वहीं एक और शोधकर्ता यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो के वायरोलॉजिस्ट प्रो पी सातो का भी यही कहना है कि वायरस के स्पाइक प्रोटीन में पी-681 आर म्यूटेशन स्वस्थ कोशिकाओं की प्लाज्मा मेंब्रेन को तीन गुना अधिक तेजी से फ्यूज करता है।