–कब होती है लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी के साथ-साथ महामारी के इस दौर में अपनी सेहत का ख्याल रखना बहुत मुश्किल हो गया है। कोरोनावायरस से पहले ही इंसान कई तरह की बीमारियों से जूझ रहा था और अब ऐसे में महामारी ने हमें नए-नए तरीकों से परेशान करना शुरू कर दिया है। आज हम अपने शरीर के एक ऐसे अंग के बारे में बात करेंगे, जिसका खयाल रखना बहुत जरूरी है। जी हां,आज हम अपने लिवर की बात करेंगे और जानेंगे कि आखिर लिवर के साथ होने वाली समस्या ह्यफैटी लिवरह्ण क्या है? इसके साथ ही हम इस समस्या के लक्षण के बारे में चर्चा करेंगे।
फैटी लिवर को कैसे डिटेक्ट किया जा सकता है
फैटी लिवर के बढ़ते मामलों के पीछे टेक्नोलॉजी है। दरअसल,फैटी लिवर के मामले में पहले भी काफी ज्यादा हुआ करते थे लेकिन तकनीक के अभाव में उन्हें डिटेक्ट नहीं किया जा सकता था। लेकिन आज के समय-समय में जगह-जगह हाईटेक लैब बन चुके हैं जिससे अब बड़ी संख्या में इन मामलों को डिटेक्ट किया जा रहा है। हमारे मौजूदा लाइफस्टाइल और खानपान की वजह से भी फैटी लिवर की समस्या तेजी से बढ़ रही है। फैटी लिवर में हमारे लिवर का फैट बढ़ जाता है, ऐसे में लिवर के काम करने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। फैटी लिवर को अल्ट्रासाउंड के जरिए आसानी से डिटेक्ट किया जा सकता है। फैटी लिवर दो तरह के होते हैं- नॉन एल्कोह्लिक फैटी लिवर और एल्कोह्लिक फैटी लिवर।
क्या होते हैं फैटी लिवर के लक्षण
जो लोग ज्यादा एल्कोहल का सेवन करते हैं, उनकी समस्या को एल्कोह्लिक फैटी लिवर कहा जाता है और जो लोग एल्कोहल का सेवन नहीं करते या ओकेजनली लेते हैं,उनकी समस्या को नॉन एल्कोह्लिक फैटी लिवर कहते हैं। फैटी लिवर के कोई लक्षण नहीं होते हैं। जब कोई मरीज अपनी किसी समस्या को लेकर आता है तो उसकी कई तरह की जांच की जाती है। ऐसे में उसका अल्ट्रासाउंड भी होता है और यहीं उसकी इस बीमारी का पता चलता है। यदि कोई व्यक्ति अपने शरीर की जांच न कराए तो उसकी बीमारी का पता लगाना बहुत ही मुश्किल है। फैटी लिवर जिन स्टेज से गुजरता है,उसकी आखिरी स्टेज पर जब वह पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है तो मरीज को लिवर ट्रांसप्लांट कराने की जरूरत पड़ती है।