चीन ने संयुक्त राष्ट्र संघ में मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित करने की राह में हमेशा रुकावट खडी की हैं मसूद अजहर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का सरगना है। जैश-ए-मोहम्मद ने जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी लेकिन चीन को मसूद अजहर के अंदर छिपा भेड़िया और खूंख़ार चेहरा नज़र नहीं आता और ना ही वो उसे आतंकी मानता है। कश्मकश देखिए कि मसूद अजहर चीन की नजरों में पाक साफ है जबकि खुद अपने मुल्क में रहने वाला हर मुसलमान चीन को आतंकी लगता है। आतंकवाद और अलगाववाद का आरोप लगाकर चीन अपने ही मुल्क के शिनजियांग प्रांत में रहने वाले मुसलमानों पर जो अत्याचार कर रहा है शायद है कि दुनिया के किसी भी मुल्क में ऐसा सुलूक मुसलमानों के साथ होता हो।
21वीं सदी में जुर्म-ओ-ज्यादती की जो इबारत चीन में रहने वाले मुसलमानों के साथ लिखी जा रही है वो आपको हैरान कर देगी। दुनिया में 57 मुस्लिम देश है मुस्लिम आबादी दूसरे नंबर पर है लेकिन शी जिनपिंग की कम्यूनिष्ट सरकार के खिलाफ बोलने में मुस्लिम देशों की जुबान को लकवा मार जाता है। ये रिपोर्ट आपको चीन का दोगलापन बताएगी और मुस्लिम देशों का दब्बूपन समझाएगी जो अपने ही मुस्लिम भाइयों पर होने वाले अत्याचारों को देखते हुए भी आंखें मींच कर बैठे हैं ।
चीन यूं तो एक नास्तिक देश है जहां किसी भी धर्म को मानने पर पाबंदी है लेकिन फिर भी दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले इस देश में डेढ़ से दो परसेंट मुस्लिम आबादी है। चीन में उइगर, उज़बेक, कज़ाक और हुई समुदाय के मुसलमान हैं जो चीन के अलग अलग हिस्सों में पाए जाते हैं लेकिन सबसे ज्यादा मुसलमान चीन के शिनजियांग प्रांत में बसते हैं और ये उइगर समुदाय से है इन्हें उइगर मुस्लिम भी कहा जाता है इनकी आबादी करीब 1 करोड़ है। चीन के शिनजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुस्लिम चीन की क्रूरता का सबसे बड़ा उदाहरण हैं चीन ना उन्हें आजादी से जीने देता है ना उन्हें सुकून से मरने देता है वो तिल तिल कर उइगर मुस्लिमों को मार रहा है। चीन में मुस्लिमों के दाढ़ी बढाने, टोपी पहने और ऊंचा पायजामा पहने पर रोक है, सड़क किनारे या खुले में नमाज पढ़ने पर पाबंदी है, मस्जिदें तोड़ी जा रही हैं, रोजा रखने की भी इजाजत नहीं है।
महिलाएं सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का नहीं पहन सकतीं, परिवार अपने बच्चों के नाम में मुस्लिम शब्द नहीं जोड़ सकते। आबादी रोकने के लिए शिनजियांग में चीनी अधिकारी मुस्लिम मर्दों की नसबंदी कराते हैं और महिलाओं को जबरन बांझ बना दिया जाता है। जिन मुस्लिम परिवारों में दो से ज्यादा बच्चे हैं तो उन बच्चों को जबरन घर से उठाकर बोर्डिंग स्कूलों में भेजा जाता है और माता पिता को डिटेंशन केम्पों में ठूंस दिया जाता है। बोर्डिग स्कूलों में बच्चों को इस तरह से पोशित किया जाता है कि वो चीन को अपनाएं और इस्लाम को भुल जाएं। चीन ने पिछले कुछ सालों में जेल सरीखी कई इमारतें शिनजियांग में बनाईं हैं जो बाहर से प्रशिक्षण कैंप लेकिन अंदर से टॉर्चर सैल हैं चीन दुनिया को कहता है कि इन कैम्पों में वो शिनजियांग के गरीब, अशिक्षित और कमजोर लोगों को प्रशिक्षण देकर मुख्यधारा में लाने की कोशिश कर रहा है लेकिन सच ये है कि वो इन कैम्पों में मुसलमानों को धार्मिक कट्टरता छोडने के लिए मजबूर करता है और जो मुस्लिम इसके लिए तैयार नहीं होते उन्हें टार्चर किया जाता है, उनकी आवाज दबा दी जाती है।
मुस्लिम महिलाओं के साथ गैंगरेप तक की घटनाएं डिटेंशन कैम्पों से बाहर आई हैं। ये तो डिटेंशन कैम्प के अंदर की बात है वो उइगर मुसलमान जो इन डिटेंशन कैम्प से बाहर रहते हैं वो भी लगातार चीनी अधिकारियों की सर्विलांस में रहते हैं जगह जगह उनका फेस सीसीटीवी कैमरे में स्कैन होता है हर वक्त उन्हें अपना आईडी जेब में रखकर चलना पड़ता है अगर ये लोग किसी काम से शहर से बाहर निकलते हैं तो इनकी चैकिंग की जाती है इनके बैग कपड़े सब कुछ चैक किये जाते हैं। हैरत की बात है कि उइगर मुस्लिमों के व्यवहार के आधार पर बाजाब्ता इनकी रेटिंग तक सैट कर दी गई है यानि इन्हें तीन समूहों में बांटा गया है सेफ, नार्मंल और डेंजरस। अगर उइगर मुसलमान चीन के थोपे गये कायदे कानून मानता है तो वो सेफ है या नार्मल कैटेगरी में आता है जो नहीं मानता है उसे डेंजरस कैटेगरी में शामिल कर दिया जाता है यानि वो मुसलमान चीन के लिए खतरा बन जाता है। डैंजरस कैटेगरी में आने वाले उइगर मुस्लिमों को ना तो ट्रवल करने की आजादी होती है और ना ही वो अच्छी नौकरी के काबिल माने जाते हैं इतना ही नहीं डेंजरस कैटेगिरी में आने वाले मुसलमानों को बैंक लोन तक नहीं मिलता ।
चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों की आबादी करीब एक करोड है लेकिन बीते 3 साल में 18 लाख से ज्यादा मुस्लिम लापता हैं वो कहां गये कोई नहीं जानता। डिटेंशन कैम्पों में 20 से 80 साल के करीब 11 लाख लोग बंद है उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं।
साल 2018 में संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट आई इसमें शिनजियांग के डिटेंशन कैम्पों में होने वाली क्रूरता का जिक्र तो किया गया लेकिन चीन पर कोई एक्शन ना हुआ। यूं तो शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिम बहुसंख्यक हैं और कागजों में चीन ने ये सूबा स्वायत्त घोषित कर रखा है लेकिन ये भी सिर्फ दिखावा है चीन बीते काफी अर्से से लगातार अपने मूल हान नागरिकों को शिनजियांग में शिफ्ट कर रहा है। इसका नतीजा ये है कि जिस शिनजियांग में हान चीनियों की आबादी साल 1949 में छह फीसदी थी वो अब बढ़कर करीब 40 फीसदी हो चुकी है और जिन उइगर मुस्लिमों की आबादी साल 1949 में 75 से 80 फीसदी थी वो अब महज 45 फीसदी रह गए है. शिनजियांग से धीरे धीरे उइगर मुस्लिमों का नस्लीय सफाया हो रहा है
चीन ने इस पूरी साजिश को बड़े ही सिलसिलेवार तरीके से अंजाम दिया है ताकि सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे। असल में शिनजियांग प्रांत में प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है चीन शुरुआत से ही इस क्षेत्र का दोहन करता आया है लेकिन जबसे यहां हान चीनियों की तादाद बढ़ी तब से चीन ने यहां विकास की रफ्तार को भी बढाया। सड़कें बनी, कई कंपनियां खोली गईं, नईं बस्तियां बसा दी गईं और बडे बडे पदों पर हान चीनियों को आसीन कर दिया गया जबकि फैक्ट्रियों में होने वाले मेहनती काम में उइगर मुस्लिमों को ठूंसा गया। नौकरी से लेकर सुख सुविधाओं की फेहरिस्त में प्राथमिकता हान चीनियों को दी गई और उइगर मुस्लिमों को कतार में सबसे पीछे रखकर उनसे लगातार भेदभाव किया गया जो अब तक जारी है। लेकिन चीन ऐसा क्यों कर रहा है वो क्यों उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार करता है इसके लिए हमें शिनजियांग प्रांत के इतिहास को खंगालना होगा। शिनजियांग प्रांत चीन का एक बड़ा हिस्सा है जो कि चीन के नार्थ वेस्ट हिस्से में मौजूद है तासीर से ये सूबा ठंडा माना जाता है इस प्रांत से चीन की सीमाएं रूस कजाकिस्तान, किर्गिस्तान पाकिस्तान अफगानिस्तान..ताजिकिस्तान भारत और मंगोलिया से मिलती हैं।
इतिहास खंगालने पर पता चलता है कि पहले तुर्किस्तान काफी बड़ा देश हुआ करता था आज का तुर्केमेनिस्तान, उजबेकिस्तान, कजाखिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और चीन का शिनजियांग प्रांत तुर्किस्तान का ही हिस्सा थे। आज जिसे हम शिनजियांग कहते हैं वो साल 1949 से पहले तुर्किस्तान का पूर्वी हिस्सा हुआ करता था साल 1949 में इसे एक अलग राष्ट्र के रूप में मान्यता दी गई लेकिन ये आजादी ज्यादा दिनों तक बरकरार ना रह सकी और उसी साल चीन ने इस इलाके पर कब्जा कर लिया। शिनजियांग में रहने वाले उइगर मुस्लिम तुर्की भाषा बोलते हैं उनका रहन सहन और संस्कृति चीन से अलग है वो शुरुआत से ही चीन से आजादी की मांग उठा रहे हैं लेकिन चीन शिनजियांग को हर सूरत में अपने पास रखना चाहता है इसके पीछे चीन के आर्थिक हित छिपे हुए हैं असल में शिनजियांग प्रांत से किर्गिस्तान और कजाकिस्तान की सीमाएं मिलती हैं किर्गिस्तान और कजाकिस्तान के पास अकूत हाइड्रो पावर, नैचुरल गैस और पेट्रोलियम के भंडार हैं चीन ने इन देशों में भारी निवेश किया हुआ है।
सेंट्रल एशिया से आने वाली गैस पाइपलाइन भी शिनजियांग से ही गुजरती है चीन का बेल्ट एंड रोड इनिशियेटिव रूट भी शिनजियांग प्रांत का एक अहम हिस्सा है इतना ही नहीं सेंट्रल एशिया में अपनी धाक जमाए रखने के लिए भी शिनजियांग प्रांत चीन के लिए अहम हो जाता है। चीन ने तिब्बत से लेकर शिनजियांग तक सड़क मार्ग बनाया हुआ है जो कि अक्साई चिन से होकर गुजरता है चीन और भारत में तनातनी चल रही है लिहाजा शिनजियांग चीन के लिए सामरिक लिहाज से भी जरूरी हो जाता है। शिनजियांग के उइगर मुसलमान जो आजादी की आवाज उठाते हैं चीन उनपर आतंकवादी और अलगाववाद का आरोप लगाकर उनकी आवाज़ दबाता है चीन की कम्यूनिष्ट सरकार सालों से उइगर मुसलमानों पर अत्याचार करती आ रही है ताकि आजादी की मांग बुलंद और मजबूत ना हो सके लेकिन लगता है कि चीन की दशा दिशा पर शिन बैठ गया है।
चमगादड़ चीन की कम्यूनिष्ट सरकार के खिलाफ उइगर मुसलमानों के दो संगठनों ने आईसीजे यानि इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का दरवाजा खटखटाया है ये दो संगठन है ईस्ट तुर्किस्तान गवर्नमेंट इन इक्जाइल और ईस्ट तुर्किस्तान नेशनल अवेकनिंग मूवमेंट। आईसीजे में इन दो संगठनों ने चीन के पाप का पुलिंदा सौपा है चीन के खिलाफ आईसीजे में उइगर मुसलमानों की पैरवी लंदन के वकीलों की एक टीम कर रही है दूसरी ओर उइगर मुसलमानों के हक में अमेरिका ने भी कड़ा कदम उठाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बिल पास किया है जिसमें उइगर मुसलमानों को डिटेंशन कैंप में डालने वाले और जुल्म करने वाले चीनी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही गई है माना जा रहा है कि चीन ने शिनजियांग के डिटेंशन कैंपों में दस लाख से ज्यादा उइगर मुस्लिमों को हिरासत में रखा है।
हैरत की बात ये है कि जिन उइगर मुस्लिमों के पक्ष में अमेरिका बोल रहा है उसके पक्ष में टर्की के अलावा कोई मुस्लिम देश ना बोला, दुनिया के किसी मुस्लिम नेता ने जुबान ना खोली। मुस्लिम देशों के इस दोगलेपन की वजह है चीन का कर्ज और चीन के साथ मुस्लिम देशों का व्यापार। पाकिस्तान को ही देख लीजिए चीन से इतना कर्ज लेकर बैठा है कि ब्याज तक चुकाने की हालत में नहीं। ऐसे में पाकिस्तान से उइगर मुस्लिमों के हित में और चीन के खिलाफ बोलने की उम्मीद लगाना तो बेमानी ही है। चीन भूमाफिया है वो अपनी विस्तारवादी सोच के साथ अपने पड़ोसियों से पंगा लेता है और अपने खिलाफ उठने वाली आवाज को दबाता है लेकिन चीन की यही नीति आगे आने वाले समय में उसके लिए नासूर बनेगी, उइगर मुसलमान इसका उदाहरण हैं। इंटरनेशन कोर्ट ऑफ जस्टिस में उइगर मुसलमानों का मुद्दा पहुंच चुका है उम्मीद है कि दुनिया की सबसे बड़ी अदालत चीन को जरूर कठघरे में खड़ा करेगी। चीन के पापों का हिसाब देर से ही सही लेकिन होगा जरूर।