नई दिल्ली। देश में अब भी अक्सर सीवर की सफाई या मैला साफ करने के लिए उतरे मजदूरों की मौत सीवर में जहरीली गैस में दम घुटने की वजह से हो जाती है। बुधवार को उच्चतम न्यायालय ने हाथ से मैला साफ करने से होने वाली मौतों को लेकर चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। कोर्ट ने सख्त होते हुए कहा कि मैला साफ करने वालों को मास्क और आॅक्सीजन सिलेंडर मुहैया क्यों नहीं कराए जाते हैं। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने इस पर तल्ख टिप्पणियां करते हुए कहा कि सफाई के दौरान मौतें हो रही हैं। इस मामले में केंद्र को उपयुक्त उपकरण मैला साफ करने वालों को न उपलब्ध कराने पर फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि किसी भी देश में लोगों को मरने के लिए गैस चैम्बरों में नहीं भेजा जाता है। अदालत ने आगे कहा कि हाथ से मैला साफ करने के कारण हर महीने चार-पांच लोग जान गंवा रहे हैं। देश को आजाद हुए 70 साल से अधिक समय हो चुका है लेकिन जाति के आधार पर भेदभाव अब भी जारी है।